विश्व सिनेमा की जादुई दुनिया: जॉर्ज मिलियस- प्रकाश का कीमियागर

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1895 में जब पेरिस में लुमियर भाई पहली चलती-फ़िरती तस्वीरें दिखा रहे थे, दर्शकों में एक जादूगर तथा रॉबर्ट-हाउडिन थियेटर का मैनेजर-निर्देशक जॉर्ज मेलियस भी शामिल था। जादूगर जॉर्ज मेलियस ने इन नवीन चलती-फ़िरती दुनिया में भविष्य की अनंत संभावनाए देखीं।

जॉर्ज मिलियस

जॉर्ज मिलियस स्टेज जादूगर था, जिसने लुमियर भाइयों के सिने-जादू को देखा और अपना स्टेज जादू भूल कर फ़िल्म का जादू सृजित करने लगा था। 8 दिसम्बर 1861 को पेरिस में पैदा हुआ मारी जॉर्ज जीन मिलियस चलती-फ़िरती तस्वीरों के साथ प्रयोग करने वाला पहला व्यक्ति था जिसने फ़िल्म नरेटिव्स तथा तकनीकि के साथ कई प्रयोग किए। उसके जैसे अन्वेषक दुनिया में कम ही हैं।

फ़िल्म में उसने स्पेशल इफेक्ट्स, मल्टीपल एक्सपोजर्स, टाइम-लैप्स फ़ोटोग्राफ़ी, डिजाल्व्स, हैंड-पेंटेड फ़िल्म आदि तमाम नई चीजों का आविष्कार और प्रयोग किया। प्रारंभिक दौर के इस निर्देशक-अभिनेता की बात किए बगैर सिने-इतिहास पूरा नहीं हो सकता है। यूरोप का पहला फ़िल्म स्टूडियो उसने ही बनाया। उसका पूरा स्टूडियो कांच से बना था।

1895 में जब पेरिस में लुमियर भाई पहली चलती-फ़िरती तस्वीरें दिखा रहे थे, दर्शकों में एक जादूगर तथा रॉबर्ट-हाउडिन थियेटर का मैनेजर-निर्देशक जॉर्ज मेलियस भी शामिल था। जादूगर जॉर्ज मेलियस ने इन नवीन चलती-फ़िरती दुनिया में भविष्य की अनंत संभावनाए देखीं। उसने लुमियर भाइयों से उनकी मशीन खरीदने की पेशकस की जिसमें वह असफ़ल रहा।

मगर धुन के पक्के जॉर्ज मिलियस ने हिम्मत नहीं हारी और एक कैमरा खरीद कर पेरिस के नजदीक कांच से घिरा अपना स्टूडियो बनाया, अपनी स्क्रिप्ट लिखी, खुद सेट तैयार किया और अभिनेताओं के साथ मिल कर अपना काम शुरू कर दिया। उसका बड़ा भाई गेस्टन मिलियस उसे स्क्रीनप्ले तथा फ़िल्म प्रोड्क्शन में सहायता करता था। उसके जुनून और उसकी जादूगरी की सूझ ने उसका संग दिया और कैमरा ट्रिक की सहायता से उसने सिनेमा में एक से बढ़कर एक कमाल किए।

स्पेशल इफेक्ट्स के जन्मदाता

कैमरे का भरपूर इस्तेमाल करते हुए उसने स्टॉप मोशन, फ़ेड आउट, स्लो मोशन, डिजाल्व, डबल एक्पोजर सुपरइम्पोजीशन सबका उपयोग किया। उसे ‘स्पेशल इफेक्ट्स का जन्मदाता’ कहा जाता है। उसने कभी लॉन्ग शॉट्स का प्रयोग नहीं किया।

इस कमाल के व्यक्ति जॉर्ज मेलियस ने 13 साल (1899-1912) में 400 फिल्में बना डाली, जहां सिनेमा की जादूई दुनिया साकार हुई।

क्या नहीं था उसकी फ़िल्मों में? यहां इल्यूशन, पैंटोमाइम, फैंटसी, खिलवाड़, एब्सर्डडिटी, शरीर के साथ विचित्र रूपांतरण, कॉमिक इफेक्ट सब दर्शकों केलिए उपलब्ध था। मानव शरीर का अधिकतम रूपांतरण उसकी एक खासियत थी। उसे कई अन्य बातों के अलावा सांइस-फ़िक्शन फ़िल्म का जन्मदाता भी माना जाता है। उसने सबसे पहले प्रोड्क्शन स्केच तथा स्टोरीबोर्ड का प्रयोग किया।


चार्ली चैपलिन उसे यूं ही नहीं ‘प्रकाश का कीमियागर’ (द एल्केमिस्ट ऑफ़ लाइट) कहता है। इस सदी के  सबसे बड़े और जुनूनी सिने निर्देशक मार्टिन स्कॉरसेसि ने फ़िल्म ‘ह्यूगो’ बना कर 2011 में इस पुरोधा को अपनी श्रद्धांजलि दी है। इस बायोपिक को प्रत्येक सिने-प्रेमी को अवश्य देखना चाहिए। मार्टिन के अनुसार ‘उस (जॉर्ज मिलियस) ने सब कुछ अन्वेषित किया’।

जॉर्ज मिलियस, एक जादूगर निर्देशक

जॉर्ज मिलियस पर बनी फिल्म ‘ह्यूगो’

‘ह्यूगो’ एक ऐतिहासिक फ़िल्म है। इस फ़िल्म में जॉर्ज मिलियस के बारे में जो कुछ दिखाया गया है तकरीबन वह सब सही है। सच में लुमियर भाइयों की फ़िल्म का प्रदर्शन देखने के बाद यह जादूगार और खिलौने बनाने वाला फ़िल्म बनाने में रूचि लेने लगा था। उसने ऑटोमाटा के साथ प्रयोग किए और अपना स्टूडियो, ‘थियेटर रॉबर्ट हौडिन’ बनाया।

दिवालिया होने के बाद उसकी फ़िल्म रील पिघल कर सेलूलोज बनी और वह स्वयं मोंटपारनास (पेरिस का रेलवे स्टेशन) में खिलौनों की दुकान खोल कर अपना जीवन यापन करने लगा। लेकिन लंबी उपेक्षा के बाद उसे सम्मानित किया गया।

फ़िल्म ‘ह्यूगो’ में दिखाई गई कई मूक फ़िल्में वास्तव में उसी का काम हैं। खासतौर पर 1902 में बनाई गई ‘ले वोयज दान्स ला लुने’ (इंग्लिश में ‘ए ट्रिप टू द मून’) ने उसे अमर कर दिया। 1904 में उसने ‘द वॉयज एक्रॉस दि इम्पोसिबल’ बना कर असंभव को संभव कर दिखाया, इसीलिए डी ड्ब्ल्यू ग्रिफ़िथ सब बातों का श्रेय जॉर्ज मिलियस को देते हैं। ‘क्लिओपेट्रा’ज टूम’ (1899), ‘क्राइस्ट वाकिंग ऑन वाटर’ (1899), ‘हेमलेट’ (1908) उसकी कुछ अन्य फ़िल्में हैं। 

उसकी फ़िल्म ‘ए वेजर बिटवीन टू मैजीशियन, ओर जेलस ऑफ़ माईसेल्फ़’ के बारे में सोचा जा रहा था कि यह नष्ट हो गई है या गुम हो गई है। यह फ़िल्म उसने 1904 में बनाई थी, मगर यह खोई नहीं थी। 2016 में अचानक यह चेकोस्लोवाक फ़िल्म आर्काइव में मिल गई। ठीक उसी तरह जैसे लाजवाब फ़िल्म ‘ह्यूगो’ में जॉर्ज मिलियस सोच रहा था कि उसकी सारी फ़िल्में नष्ट हो गई हैं और वह बहुत निराश-हताश था।

मिलियस निराशा के गर्त में डूब गया और फ़िल्म शब्द से नफ़रत करने लगा था। लेकिन ‘ह्यूगो’ में फ़िल्मों का विशेषज्ञ रेने टबार्ड (माइकेल स्टॉबर्ग) मिलियस का दीवाना है। उसने मिलियस की फ़िल्म का संरक्षण  किया हुआ है। रेने टबार्ड के पास ‘ए ट्रिप टू द मून’ की रील है। फ़िल्म ‘ह्यूगो’ का रेने टबार्ड कोई और नहीं स्वयं निर्देशक मार्टिन स्कॉरसेसि ही हैं।

जॉर्ज मिलियस की फ़िल्में अपने सेट और विचित्र कॉस्ट्यूम के लिए जानी जाती हैं। वह श्वेत-श्याम फ़िल्मों का दौर था लेकिन मिलियस एक-एक फ़्रेम को हाथ से रंग कर जादू में परिवर्तित किया करता था।

अमेरिका फ़िल्मों का महत्वपूर्ण बाजार था, 1903 से मिलियस की कंपनी का एक ऑफ़िस अमेरिका में था। उसके कई प्रोड्क्शन स्केचे तथा स्टोरीबोर्ड के शीर्षक फ्रेंच के साथ इंग्लिश में भी होते थे। वह अपनी फ़िल्म के दो नेगेटिव शूट करता, एक अपने पास रखता, दूसरा अमेरिका भेजता था। उसने इंग्लिश में फ़िल्म कैटलॉग भी बनाया। जब उसने फ़िल्म प्रोड्क्शन बंद किया तो अपनी अधिकांश फ़िल्मों की मूल प्रति स्वयं ही नष्ट कर दी।


प्रथम विश्वयुद्ध ने सब उलट-पलट कर दिया

इसी बीच प्रथम (उस समय कहां मालूम था कि यह युद्धों की शुरुआत है) विश्वयुद्ध के कारण फ़िल्म में दर्शकों की रुचि घट गई। फ़िल्म उद्योग के कमर्सियल विकास से 1913 में उसका व्यापार मंदा पड़ गया। जॉर्ज मिलियस दिवालिया हो गया। उसका ‘थियेटर रॉबर्ट हौडिन’ 1914 में बंद हो गया। इसके बाद जॉर्ज मिलियस मोंटपारनास स्टेशन पर खिलौनों की दुकान खोल कर अपना जीवन यापन करने लगा। परिवार चलाने का भार छोटे भाई हेनरी पर आया, वह लंदन में फ़ैमिली शू फ़ैक्ट्री चलाता था।

जॉर्ज मिलियस की पहली पत्नी का नाम यूजीन जेनिन था। दोनों की 25 जून 1885 को शादी हुई थी, 3 मई 1913 को यूजीन की मृत्यु हो गई। पत्नी यूजीन के जीवित रहते मिलियस का संबंध जेनी से था पर पत्नी के मरने के बहुत बाद में 1925 में दोनों ने विवाह किया। जॉर्जेट तथा एंड्रे मिलियस उसके बच्चे हैं। 

1928 में उसे ‘लुमियर ऑनेररी’ अवार्ड मिला तथा 1931 में ‘लीजन ऑफ़ ऑनर’ प्राप्त हुआ। मरणोपरांत अभी हाल में 2017 में उसे विजुअल इफेक्ट्स सोसायटी का ‘हॉल ऑफ़ फ़ेम’ तथा 2021 में ऑर्किटेक्ट केलिए ओएफ़टीए फ़िल्म ‘हॉल ऑफ़ फ़ेम’ दिया गया है। 76 साल की उम्र में 21 जनवरी 1938 को गरीबी में कैंसर से जॉर्ज मिलियस की पेरिस में मृत्यु हुई।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

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