Dev Joshi: चांद पर सबसे अलग नजरिया लेकर जा रहे ‘बालवीर’ फेम देव जोशी, बोले- अपनी धरती को चांद से उगते देखूंगा
टीवी शो ‘बालवीर’ फेम देव जोशी जल्द ही चांद की यात्रा करनेवाले हैं। उन्होंने नवभारत टाइम्स के साथ हाल ही में बातचीत की और बताया कि उन्हें इस वक्त कैसा महसूस हो रहा है। साथ ही कई चीजों के बारे में उन्होंने बातचीत की।
हाइलाइट्स
- चांद पर सबसे अलग नजरिया लेकर जा रहे हैं देव जोशी
- बालवीर फेम देव जोशी बोले- अपनी धरती को चांद से उगते देखूंगा
- देव जोशी की नवभारत टाइम्स से खास बातचीत
टीवी शो ‘बालवीर’ फेम देव जोशी ने हाल ही में जानकारी दी थी कि वह चांद की यात्रा करने वाले हैं। वह डियर मून प्रोजेक्ट के तहत दुनिया भर से चुने गए चुनिंदा कलाकारों के साथ एलन मस्क की कंपनी के बनाए गए अंतरिक्ष यान स्टारशिप से 7 दिनों चांद की यात्रा करेंगे। इस प्रोजेक्ट के लीडर जापानी बिलेनियर युसाकु माएजावा हैं। इसी खुशी को देव जोशी ने नवभारत टाइम्स के साथ शेयर किया।
एक कलाकार के तौर पर आप पहले भारतीय हैं, जो चांद की यात्रा करने वाले हैं, ये जानकर आपको कैसा अनुभव होता है?
ये बहुत खुशी की बात है कि मुझे मेरा सपना पूरा करने का मौका मिल रहा है। ये जीवन भर याद रहने वाला प्रोजेक्ट है। किसी भी कलाकार के लिए ये काफी नई चीज है, ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब कोई कलाकार ब्रह्मांड की सैर पर जाने वाला हो। अनुभव तो है लेकिन साथ ही साथ जिम्मेदारी भी है। मैं 22 साल का युवा हूं, तो यंगस्टर्स और अपने देश को रिप्रजेंट करता हूं। कहीं ना कहीं ये एक बड़ी जिम्मेदारी है, जिसे अच्छे से निभाना है।
चांद का भारतीय संस्कृति से बड़ा जुड़ाव रहा है। कई कहानियां, कविता और गाने चांद पर बने हैं। लेकिन आपका चांद से अटैचमेंट कब से बना?
हमारे भारत में चांद को लेकर कई सारी कहानियां हैं। चांद से तो हमारा बचपन से ही मामा वाला रिश्ता होता है। मैंने बालवीर का किरदार निभाया है तो कई बार उसमें भी कई सारे ऐसे सीन्स थे, जहां मैंने चंदा मामा से धरती की रक्षा की है, मैं एक सुपरहीरो की वजह से पूरे ब्रह्मांड में घूमता रहता था। कई बार चांद पर दुश्मनों से मैं लड़ा हूं। मैं गुजरात से हूं और जब हम अपने घर की छत पर सोते हैं, तो हम चांद को निहारते हैं, वो रात में हमें रास्ता दिखाते हैं। इसलिए चांद से हमारा बचपन से लगाव रहा है। कई कविताएं, गाने, कहानियां हैं, जो चांद से जुड़ी हैं, वो मैंने बचपन से सुनी हैं और मुझे काफी पसंद भी थीं। उन बचपन की कहानियों, गानों और कविताओं की वजह से ही आज कहीं ना कहीं मैं इस प्रोजेक्ट से जुड़ पाया हूं। मैंने इस बात को गांठ बांध लिया था कि मैं जो हूं, वैसा ही रहूं। अगर इस प्रोजेक्ट के लिए मैंने खुद को बदला तो इस जर्नी का जो मुख्य उद्देश्य है, वो खो जाएगा। इसलिए देव जोशी के तौर पर ही मैंने सारे पड़ाव पार किए।
अब तक चांद के बारे में जो भी दुनिया जानती है, वो वैज्ञानिक नजरिया रहा है। हमारे वेद-पुराणों में भी चांद से जुड़ी जानकारी है, ऐसे में आप चांद को किस नजरिए से देखेंगे?
अब तक जो भी गया है वो साइंटिफिक रूप से ही चांद पर गया है। लेकिन पहली बार ऐसा होगा कि कोई भारतीय धार्मिक, कलात्मक और आर्टिस्टिक सोच के साथ चांद की यात्रा पर जाएगा। ये नजरिया आज तक सामने नहीं आया है, तो अब एक धार्मिक, कलात्मक नजरिया भी लोगों को जानने का मौका मिलेगा। हमें पता चलेगा कि कैसे एक कलाकार इसे देखता है और हमें क्या प्रेरणा मिलती है। ये ना सिर्फ हमारे लिए बल्कि पूरी मानव जाति के लिए एक खास मौका है, क्योंकि इससे पहले कोई आम आदमी चांद के करीब नहीं गया है। एक आम आदमी चांद के पास जाकर कैसा महसूस करता है, ये भी लोगों को पता चलेगा। हम स्पेस में जाएंगे और चांद के चक्कर लगाएंगे, ये पूरा 7 दिन का ट्रिप होगा। हमें दो-तीन दिन चांद तक पहुंचने में लगेंगे, दो दिन चांद की सैर करेंगे और दो दिन करीब वापस आने में लगेंगे।
चांद पर जाने के लिए आपने कुछ पहले से प्लानिंग की है? आप इस ट्रिप पर क्या कुछ ले जाने वाले हैं?
अभी ट्रेनिंग शुरू होनी बाकी है। वहां जाने से पहले काफी नियम फॉलो करने पड़ते हैं, कई चीजों को करने या ले जाने पर प्रतिबंध होगा। इस ट्रिप पर दुनियाभर से कुल 7 आर्टिस्ट जा रहे हैं। सभी अपनी-अपनी पसंद का कुछ ना कुछ ले जाना चाहते होंगे। मैं जिस तरह अब तक किरदार किए हैं, उसके हिसाब से मैं चांद की जर्नी पर क्या ले जाऊंगा, कोई कॉस्ट्यूम होगा, या फिर वहां से आने के बाद भी किसी फिल्म का निर्देशन करना है या कोई रोल करना है या फिर कोई थीम पार्क का निर्माण करना हो, इनमें से जो भी हो, बतौर ऐक्टर मैं क्या कर सकता हूं उसके लिए मेरे पास खुला मैदान है, जो उस समय अच्छा लगेगा करेंगे। लेकिन ट्रेनिंग होने के बाद ही हमें पता चलेगा कि हम क्या ले जा सकते हैं।
आप धरती से बहुत दूर जाएंगे, ऐसे में पैरंट्स की कोई फिक्र है इस जर्नी को लेकर?
हां बिलकुल फिक्र तो होती है लेकिन मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा साथ दिया है। आजतक मेरे जीवन में कुछ भी हुआ है वह अचानक ही होता रहा है। चाहे फिर बालवीर और चंद्रशेखर आजाद का रोल हो, राष्ट्रपति पुरस्कार हो या ये प्रोजेक्ट हो। तो कहीं ना कहीं मेरा सकारात्मक नजरिया रहा है। बिलकुल धरती से दूर जाना है, 4 लाख किलोमीटर की एक बड़ी दूरी है, काफी सारे प्रतिबंध भी होते हैं, लेकिन पैरंट्स का मुझपर विश्वास है और मेरा अपनी टीम, क्रू पर विश्वास है, जो हमारे साथ जाने वाला है। चाहे एलन मस्क की कंपनी स्पेसक्स का बना स्टारशिप हो या फिर युसाकु माएजावा, ये पूरी पर टीम पर विश्वास करने लायक टीम है।
हम सभी ने चांद के बारे में बहुत कुछ सुना है। लेकिन क्या ऐसी कोई चीज है, जिसे आपने सुना हो और आप उसको ध्यान में रखकर चांद को और करीब से जानना चाहते हों?
हमारी भगवत गीता, वेद-पुराण सभी में चांद का उल्लेख मिलता है, उसका काफी महत्व है। हिंदू कैलेंडर में भी चांद का अपना महत्व है। जब हम एक धार्मिक नजरिए से उसे देखने जाएंगे तो क्या प्रेरणा होगी और क्या समझ आएगा, वो एक नई बात होगी। सभी पवित्र पुस्तकें तो धरती से लिखी गई हैं, जो बिलकुल सच है। मगर वहां जाकर ही हमें बाकी चीजों के बारे में पता चलेगा।
ये चांद को करीब से देखने की यात्रा के अलावा चांद के करीब से धरती को भी देखने का मौका है। ऐसे में आपके लिए चांद से अपनी धरती को निहारना कितने एक्साइटमेंट वाला अनुभव होने वाला है?
हम सभी ने आजतक धरती को फोटोज या किसी विडियो में देखा है कि वह देखने में कैसी है। लेकिन खुद की आंखों से धरती को चांद के पास से देखना भी एक बड़ा रोमांचक समय होगा। अब तक हम धरती से चांद और सूरज को उगते हुए देखते थे, लेकिन मुझे अब धरती को उगते हुए देखने का मौका भी मिलेगा। जब हम चांद के पीछे से आगे आएंगे तो हमें अपनी धरती का उदय देखने को मिलेगा। ये हमारे लिए धरती को देखने का नया नजरिया होगा और जिंदगीभर याद रहने वाला मौका होने वाला है। वो देखने का मजा ही इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है।