कांग्रेस और भाजपा का मुख्‍यमंत्री बदलो अभियान, भारतीय राजनीति व रणनीतिक समीकरण को देगा नया जन्‍म, “तू डाल डाल मेेंं पात पात का खेल”

Edited by Vijay Katkar

कांग्रेस और भाजपा द्वारा दल बदल के साथ साथ एक नया प्रयोग करना भी शुरू कर दिया है । यह प्रयोग है राज्‍यों के अपने अपने मुख्‍यमंत्रियो का फेरबदल करना जो निरंतर जारी है । इस नये प्रयोग में आगामी होने वाले चुनाव को मद्देनजर रखकर जनता के बीच पैैठ बनानेे का उद्देश्‍य जहां है वही वोटो का ध्रुवीकरण के साथ साथ पार्टी की छवि सुधारना भी एक ध्‍येय है । इन्‍ही बातो को लेकर देश में अभी तक पांच राज्‍यो के मुख्‍यमंत्री बदले जा चुके है और आगामी समय में अन्‍य राज्‍यो के मुख्‍यमंत्री भी बदले जाने की संंभावना पूर्णरूप से बनी हुई है । जिनमें मध्‍यप्रदेश (भाजपा), छत्‍तीसगढ और राजस्‍थान की सरकार पर अगला प्रयोग हो सकता है ? बदले गये राज्‍यो के मुख्‍यमंत्रियो में उत्‍तराखंड की भाजपा सरकार के त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह पहले तीरथ सिंह रावत मुख्‍यमंत्री बनाए गये फिर उनकी जगह पुष्‍कर सिंह धामी को कमान सौंपी गयी । वही असम में सर्वानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्‍वा सरमा को मुख्‍यमंत्री बनाया गया । कर्नाटक में विजय रूपाणी की जगह भूपेेंद्र पटेल को मुख्‍यमंत्री बनाया गया इसमें सीनियरटी का ध्‍यान भी भाजपा ने नही रखा और पहली बार के विधायक भूपेंद्र पटेल को सौंपी गयी क्‍योकि वह गृह मंत्री अमित शाह के संसदीय क्षेत्र से ताल्‍लुुक रखते है । इसी कडी में गुजरात के मुख्‍यमंत्री भी विजय रूपाणी ने भी अचानक इस्‍तीफा देकर चौंका दिया था ।

इसी फेेरबदल के प्रयोग की कडी में कांग्रेस ने भी पंजाब राज्‍य के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्‍नी को मुख्‍यमंत्री बनाया । श्री चन्‍नी दलित समुदाय से होने के कारण मुख्‍यमंत्री बनाए गये और वह पंजाब कांग्रसे के प्रदेश अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू के करीबी माने जाते है ।

17 सितंबर गुजरात में सरकार में व्यापक फेरबदल करने और मुख्यमंत्री से लेकर समस्त मंत्रियों तक को बदलने का भारतीय जनता पार्टी का असामान्य कदम किसी भी सत्ता-विरोधी लहर की आशंका को निर्मूल करने और सभी क्षेत्रीय छत्रपों को यह स्पष्ट संदेश देने की रणनीति को दर्शाता है कि जनता का समर्थन बनाये रखने के पार्टी के प्रयास में किसी पर भी गाज गिर सकती है।

किसी राज्य में पूरी की पूरी सरकार को बदलने का गुजरात का घटनाक्रम पहली बार देखने को मिला, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल से ही बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों को दरकिनार करने और नये चेहरों को लाने की रणनीति अपनाते रहे हैं ताकि मतदान के समय पार्टी को लेकर लोगों में किसी तरह की नाराजगी हो तो उसे दूर किया जा सके।

भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘‘आपको एक ऐसे नेता की जरूरत है जिसके पास इस तरह के साहसिक कदम उठाने का अधिकार और जनता का समर्थन हो। जबकि इस तरह के कदमों के अपने जोखिम हैं। मोदी उसी तरह के नेता हैं। पार्टी ने गुजरात के लोगों को बिल्कुल नयी सरकार दी है। अगर उन्हें पिछली सरकार से कोई नाराजगी रही होगी तो वह अब निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगी।’’

एक अन्य नेता ने कहा कि यह एक लोकतांत्रिक प्रयोग है और किसी सत्तारूढ़ दल ने सरकार में इतने व्यापक स्तर पर फेरबदल पहले कभी नहीं की।

उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम के बावजूद किसी तरह के असहमति के स्वर नहीं उठने से स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का दबदबा पार्टी में कायम है।

गुजरात में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां के हालिया घटनाक्रम से चुनाव से पहले राजनीतिक विमर्श बदलना तय है। अब नयी सरकार को लेकर जनता की सोच अहम होगी।

पंजाब में अब तक सबसे कमजोर प्लेयर आंकी जा रही भाजपा ने मुकाबले में आने के लिए कांग्रेस में ही सेंध लगाने पर नजरें लगा रखी हैं। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और कांग्रेस लीडरशिप से खुले तौर पर नाराजगी जाहिर की है। हालांकि उन्होंने भाजपा या किसी और दल में जाने को लेकर अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा फिलहाल कांग्रेस के उन नेताओं के संपर्क में है, जो हालिया बदलावों से खुश नहीं हैं और खुद को किनारे लगा महसूस कर रहे हैं। इनमें से एक कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हो सकते हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *