पाली तहसील की शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा है
मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में लोगों को सरकारी दुकान से बीते छह महीने से गेहूं नहीं मिला है। उन्हें या तो बाजार से महंगे भाव से गेहूं खरीदना पड़ रहा है या आटा खरीदकर काम चलाना पड़ रहा है। शासकीय राशन दुकान की वितरण मशीन में गेहूं बांटने का ऑप्शन नहीं दिख पाने की वजह से ऐसा हो रहा है। जबकि गोदाम में गेहूं पर्याप्त मात्रा में मौजूद है।
जानकारी के मुताबिक मामला उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली का बताया गया है। पाली तहसील की शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा है। यहां तक की गेहूं रखा-रखा गेहूं खराब होने लगा है। जिम्मेदारों का कहना है कि सबकुछ मशीन से होता है, लेकिन उसमें कुछ महीनों से गेहूं देने का ऑप्शन नजर नहीं आ रहा। इधर ग्रामीण परेशान हैं कि उन्हें खाने के लिए गेहूं नहीं मिल पा रहा है। मजबूरी में वे या तो ज्यादा दाम देकर बाजार से खरीदकर अपना काम चला रहे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ज्यादा खराब है, वे लोग चावल से पेट भर रहे हैं।
राशन दुकानों पर पर्याप्त मात्रा में गेहूं का स्टॉक है, तकनीकी दिक्कतों से ये बंट नहीं पा रहा।
बता दें कि सरकार की ओर से गरीबों को हर महीने निर्धारित मात्रा में फ्री में गेहूं दिया जाता है। सारा वितरण पीओएस मशीन से होता है। बीते कुछ महीनों में पीओएस में गेहूं वितरण का विकल्प नहीं दिखाई देने से गेहूं वितरण रोक दिया गया है। गेहूं की भरपाई अब कोटे में चावल से की जा रही हैं। यानी अब जाड़े के मौसम में भी गरीब रोटी की बजाय चावल ही खाएगा। चालू माह में वितरित किए जाने वाले राशन से गेहूं की कटौती कर दी गई है। इसका असर मिड डे मील पर भी पड़ सकता है।
खाद्य सुरक्षा गारंटी योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले राशन में पहले प्रति यूनिट पांच किलो राशन फ्री दिया जाता है। इसके तहत तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल वितरित किया जाता था। लेकिन अगस्त से गेहूं बिलकुल ही नहीं दिया जा रहा है। लोगों की मांग है कि इस समस्या का जल्द से जल्द निपटारा किया जाए ताकि गरीबों को गेहूं जैसे अत्यावश्यक उपज के लिए परेशान न होना पड़े।