इस बार गांधी परिवार की तरफ से कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद की रेस में शामिल नहीं था। ऐसा पिछले 24 साल में पहली बार हुआ है।
कांग्रेस के नए अध्यक्ष पद को लेकर उठापठक खत्म हो गई है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर को 6,825 वोटों से मात दे दी है। शशि थरूर ने एक प्रेस नोट जारी कर अपनी हार भी स्वीकार कर ली है। चुनाव नतीजे आने के बाद भी लोग मल्लिकार्जुन खरगे की जीत से ज्याद शशि थरूर के हार को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
पहले जान लीजिए चुनाव में क्या हुआ?
कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए 17 अक्तूबर को वोटिंग हुई थी। 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने 66 साल के शशि थरूर टक्कर दे रहे थे। 9,497 कांग्रेस नेताओं ने इसके लिए वोट किया। बुधवार को हुई मतगणना में खरगे ने शशि थरूर को भारी मतों से हरा दिया। मल्लिकार्जुन खरगे को 7,897 वोट मिले, जबकि शशि थरूर को महज 1,072 वोट मिले।
इस बार गांधी परिवार की तरफ से कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद की रेस में शामिल नहीं था। ऐसा पिछले 24 साल में पहली बार हुआ है। इससे पहले सीताराम केसरी ऐसे अध्यक्ष थे, जो गांधी परिवार से नहीं थे। कांग्रेस मुख्यालय पर खरगे की जीत का जश्न मनाया जा रहा है। खरगे के समर्थक ढोल नगाड़ों के साथ उनकी जीत का जश्न मना रहे हैं। शशि थरूर ने भी खरगे को जीत की बधाई दी। थरूर ने ट्वीट कर लिखा, ‘ये काफी सम्मान और बड़ी जिम्मेदारी की बात है। मैं खरगे जी के लिए उनके इस काम में सफलता की कामना करता हूं।’
तो कैसे हार गए शशि थरूर?
इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस में गांधी परिवार की सबसे ज्यादा अहमियत है, या यूं कहें कि गांधी परिवार के बिना कोई फैसला नहीं हो सकता तो भी ठीक है।’
प्रो. सिंह के अनुसार, ‘गांधी परिवार पहले अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता था, लेकिन राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के चलते फैसला बदलना पड़ा। आनन-फानन में पार्टी ने मल्लिकार्जुन खरगे को आगे बढ़ा दिया। एक तरह से खरगे को पार्टी ने आधिकारित तौर पर उम्मीदवार बनाकर उतारा था। ऐसे में थरूर उनके सामने कहां टिकने वाले थे।’