तालिबान के आतंंक के खिलाफ अफगानिस्‍तान की सड़कों पर महिलाओं का भारी प्रदर्शन, आज 20 साल पहले की औरत समझने की भूल न करे आतंकी

(विजय काटकर)

तालिबान ने महिलाओं को प्रेसिडेंशियल हाउस जाने से रोका, जब महिलाओं के कदम नहीं रुके तो तालिबान ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया. देखते ही देखते हालात इतने बिगड़ गए कि आंदोलनकारी हिंसक हो गए. एक महिला को तालिबानियों द्वारा बुरी तरह पीटा गया.

अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है. काबुल की सड़कों पर मुखालफत की हर हिमाकत को कुचला जा रहा है. अफगानी सेना की वर्दी में छिपे तालिबानी सड़कों पर उतर कर विद्रोह को दबाने की कोशिश कर रहे हैं. ये विद्रोह अफगानिस्तान की महिलाएं कर रही हैं. तालिबान राज के खिलाफ अफगानी महिलाएं अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं.

सड़क पर उतरी महिलाएं काबुल की राजनीतिक कार्यकर्ता हैं . प्रदर्शन कर रही महिलाओं में पत्रकार हैं, जो तालिबान शासन के खिलाफ राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने निकले थे, लेकिन तालिबान के क्रूर कारिंदों ने महिला प्रदर्शकारियों को आगे नहीं बढ़ने दिया. काबुल में महिला आंदोलनकारियों के दमन के लिए तालिबानियों द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए. एक कहावत आपने सुनी होगी, मरता क्या न करता. यही हाल अभी अफगानिस्तान में रह रही महिलाओं के साथ है. तालिबान राज में महिलाओं की जिंदगी जहन्नुम से कम नहीं है. अपने अस्तित्व की लड़ाई में महिलाएं इसबार चुप होकर बैठने वाली नहीं दिख रही हैं. कम से कम काबुल से जो तस्वीर महिला प्रदर्शनकारियों की आ रही है उसे देखने के बाद तो ये कहा जा सकता है कि तालिबान को इसबार महिलाओं से सचेत होकर रहना होगा.

काबुल में नही कबूल तालिबानी राज

काबुल की सड़कों पर सरकार में आने से पहले तालिबान को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. तालिबान ने जो सपने में नहीं सोचा था आज उसे देखने को मिल रहा है. दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना को मात देने वाले लड़ाके आज महिलाओं के सामने असहाय दिखे. तालिबानी प्रशासन के सामने महिलाओं की हिम्मत देखने वाली थी. तालिबानी प्रशासक महिला प्रदर्शनकारियों के बाच माइक पर उन्हें शांत करने की कोशिश कर रहे थे. महिलाओं को अपनी सेना और अपनी क्रूरता का डर दिखाकर चुप करना चाह रहे थे.

तालिबान जितना उग्र हो रहा था उससे कई गुना ज्यादा महिलाएं अपनी शक्ति दिखा रही थीं. जिस माइक को लेकर तालिबानी लड़ाके महिलाओं की आवाज दबाने आए थे उसी माइक को उनके हाथों से छीनकर उनके सामने तालिबान राज के खिलाफ नारे लगाती दिखीं.

तालिबान को ललकार..काबुल में महिलाओ का हाहाकार

तालिबान ने महिलाओं को प्रेसिडेंशियल हाउस जाने से रोका, जब महिलाओं के कदम नहीं रुके तो तालिबान ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया. देखते ही देखते हालात इतने बिगड़ गए कि आंदोलनकारी हिंसक हो गए. एक महिला को तालिबानियों द्वारा बुरी तरह पीटा गया. काबुल की सड़कों से आई ये तस्वीर बता रही है कि तालिबानियों के जुल्म के बीच भी ये महिलाएं हार नहीं मानीं. उन्हें तालिबानियों का कोई खौफ नहीं है. प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने तालिबान को ललकारते हुए कहा कि वो उन्हें 20 साल पहले वाली औरतें समझने की भूल न करें.

तालिबान की सफाई

काबुल में प्रदर्शन कर रही महिलाओं के साथ मुल्ला बरादर की सेना द्वारा हुई बर्बरता पर तालिबान ने सफाई दी है. तालिबान दावा कर रहा है कि महिलाओं द्वारा प्रदर्शन सिर्फ माहौल खराब करने के लिए हो रहा है. तालिबान ने कहा कि प्रदर्शन करने वाले वो लोग हैं जो अफगानिस्तान की 0.1 फीसदी लोगों का भी प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. आपको बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान राज के बाद सबसे बुरा हाल वहां की महिलाओं का है. तालिबान राज का इतना खौफ है कि महिलाएं किसी भी तरह देश छोड़कर जाना चाहती हैं. महिलाएं समझती हैं कि तालिबान राज का मतलब ही महिला के अस्तित्व का खत्म होना है.

तालिबान ने छोड़े आंसू गैस के गोले, काबुुल में हिंसक हुआ महिलाओं का विरोध प्रदर्शन,

कुछ बहादुर महिलाएं तालिबान राज के खिलाफ लगातार आवाज उठा रही हैं. तालिबान के शासन के विरोध में काबुल में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए मार्च निकाला है. महिलाओं की मांग है कि तालिबान उन्हें समानता का अधिकार दे. अपनी मांग को लेकर सैकड़ों महिलाएं सड़कों पर उतर आयीं. महिलाओं ने यहां तक कहा कि वो बुर्का पहनने को तैयार हैं लेकिन उनकी बच्चियों को स्कूल जाकर पढ़ने की छूट दी जाये. काबुल में तालिबानियों ने प्रदर्शनकारी महिलाओं का पिटाई कर दी ।

महिलाओ की आंखे भी फोड रहे है तालिबानी

33 साल की महिला खटेरा ने अपने साथ हुए अत्‍याचार की जो दास्‍तां सुनाई है वह दहलाने वाली है. इस महिला को पहले तो तालिबानी लड़ाकों ने उन्‍हें कई बार चाकू घोंपे और फिर उनकी आंखें निकाल लीं. उस समय यह महिला 2 महीने की गर्भवती थी. तमाम मिन्‍नतें भी उसे तालिबानियों से नहीं बचा सकीं लेकिन किस्‍मत से वो जिंदा बच गईं और अपनी आंखों का इलाज कराने किसी तरह दिल्‍ली पहुंच गई. जिस समय तालिबानियों ने खटेरा को घेरा था वे गजनी शहर में अपने काम के बाद लौटकर घर जा रही थीं. 

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