अमृत प्रोजेक्ट मैं 350 करोड़ रुपए खर्च करके बने 9 एसटीपी का ट्रीटेड वॉटर इस्तेमाल करने लायक

अमृत प्रोजेक्ट मैं 350 करोड़ रुपए खर्च करके बने नो एसटीपी का ट्रीटेड वॉटर इस्तेमाल करने लायक भी नहीं है हमारे तालाबों व कलियासोत नदी में पानी इतना स्लो नहीं है कि यह गंदगी डाइल्यूट हो जाए और इसे इस्तेमाल करने लायक बनाया जा सके यानी इतना सब खर्चा करने के बावजूद बड़ा तालाब छोटा तालाब शाहपुरा तालाब व कलियासोत नदी का पानी साफ नहीं होने वाला है यही वजह है कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पीसीबी किस अर्थ को मानकर तकनीकी सुधार किए जाएं तो इस पर 20 करोड और खर्च होंगे तकनीकी रूप से जिस जल स्रोत में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड बीओडी 3 या उससे ज्यादा होती है उसे सी श्रेणी का माना जाता है

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