‘इंडिया’ गठबंधन ने बिहार में टिकट बंटवारे में गलतियां कीं : भाकपा (माले) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य
कपा (माले) नेता भट्टाचार्य ने कहा कि पूर्णिया में निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की, क्योंकि राजद ने कांग्रेस को सीट देने से इनकार कर दिया था.
भट्टाचार्य ने कहा कि भाकपा (माले) ने सीवान सीट की मांग की थी, लेकिन राजद ने वहां से चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहा और यह सीट जद (यू) ने जीती. भाकपा (माले) ने आरा और काराकाट दो सीट पर जीत दर्ज की है.
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ गलतियों का शायद व्यापक असर हुआ. इसका असर कई सीट पर पड़ा. पूर्णिया का ही उदाहरण लीजिए, पप्पू यादव यह सीट जीतने में कामयाब रहे. लेकिन यह अकल्पनीय है कि इस तरह के ध्रुवीकृत चुनाव में राजद के आधिकारिक उम्मीदवार को 30,000 से भी कम वोट मिले.”
पप्पू यादव लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन पूर्णिया सीट से टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. राजद ने यह सीट गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को देने से मना कर दिया था और इस सीट से बीमा भारती को प्रत्याशी बनाया था. बीमा भारती को महज 27,000 वोट मिले थे.
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘संभवतः इसका असर अररिया, सुपौल और मधेपुरा आदि सीट पर भी पड़ा.”
उन्होंने कहा कि इसी तरह से भाकपा माले की स्थिति सीवान में बहुत मजबूत थी. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे प्रत्येक सूत्र ने बताया कि अगर हमारी पार्टी का उम्मीदवार चुनाव मैदान में होता तो हम सीवान सीट जीत जाते.”
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘…सीवान, छपरा एवं महाराजगंज और यहां तक कि गोपालगंज की सीट भी जीत सकते थे. तो ये कुछ ऐसी गलतियां हैं जिनसे बचा जा सकता था और जिनके कारण हमें (बिहार में) कुछ सीट का नुकसान हुआ.”
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘संभवतः इसका असर अररिया, सुपौल और मधेपुरा आदि सीट पर भी पड़ा.”
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘…सीवान, छपरा एवं महाराजगंज और यहां तक कि गोपालगंज की सीट भी जीत सकते थे. तो ये कुछ ऐसी गलतियां हैं जिनसे बचा जा सकता था और जिनके कारण हमें (बिहार में) कुछ सीट का नुकसान हुआ.”
उन्होंने कहा कि इसी तरह से भाकपा माले की स्थिति सीवान में बहुत मजबूत थी. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे प्रत्येक सूत्र ने बताया कि अगर हमारी पार्टी का उम्मीदवार चुनाव मैदान में होता तो हम सीवान सीट जीत जाते.”