प्रायः दिन के 24 घंटों में से प्रतिदिन 90 मिनट का समय राहुकाल कहलाता है। और यह सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच यानि दिनमान को 12 घंटे मानकर माना जाता है। जो पूर्ण सैद्धांतिक नहीं है।। क्यों कि रेखान्तर मान से सभी स्थानों का दिनमान अलग होता है (सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को दिनमान कहते हैं।) जो प्रतिदिन या प्रत्येक स्थान पर १२घंटे समान नही होता है। कभी कम और कभी ज्यादा भी होता है।।
अब समझें शूक्ष्म गणित
माना कहीं स्थानीय सु.उ. ६:३० पर हुआ है।
और सू.अ. ५१० पर हुआ है।।
तो मात्र १०घ. ४०मि. ही दिन रहा ।
(यानि १०:४० दिनमान हुआ।)
इस दिनमान में ८ भागों में भागित कर दें:-
दिनमान÷८
१०:४० ÷ ८ = १:२०
(अतः उस स्थान पर उस दिन मात्र १घ. २०मि. का ही राहुकाल होगा।)
और वार के अनुसार दिनमान के आठ भागों में से…. अलग-अलग भाग को राहुकाल माना जाता है।। जैसे:-
सोमवार को दूसरे भाग में ,
शनिवार को तीसरे भाग में,
शुक्रवार को चौथे भाग में ,
बुधवार को पांचवे भाग में ,
गुरुवार को छठे भाग में,
मंगलवार को सातवे भाग में ,
एवं रविवार को आठवें भाग में राहुकाल की गणना की जाती है।
और यह क्रम प्रतिदिन इसी प्रकार चलता है।
उदाहरण👇👇
प्रश्न- जिस दिन स्थानीय सूर्य उदय ६ बजकर ३० पर हुआ और सू.अ. ५:१० पर हुआ तो “सोमवार” का राहुकाल क्या होगा….❓❓
उत्तर- सोमवार को राहुकाल (दिनमान के ८भागों में से …. दूसरे भाग को माना जाता है)।
चूंकि ६:३०के सू.उ. और सू.अ. ५:१० । तो उस दिन राहुकाल मात्र १घ.२०मि. का ही होगा। (गणना का तरीका ऊपर समझाया है।)
यानि दिन का दूसरा भाग – प्रातः ७:५० से ९:१० तक होगा।
अर्थात ऐसे “सोमवार” का राहुकाल – प्रातः ७:५० से ९:१० तक होगा।
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एक खास बात
चौघडिया समय निकालने का शूक्ष्म तरीका भी …इसी तरह दिनमान के आठ भाग करके निकाला जाता है… इस दिन एक चौघड़िया भी- १घ.२०मि. की ही होगी। (यानि दूसरी चौघड़िया भी- प्रातः ७:५० से ९:१० तक ही होगी।।) जो पूर्ण राहुकाल में ही पडेगी।।
सायद ये शूक्ष्म व गणनात्मक राहुकाल और चौघड़िया निकालने का तरीका सभी को सरलतम, सटीक और लाभप्रद सावित होगा।।
फिर भी समझने में दिक्कत लगे तो हमको पूछ सकते हैं….
जय भैरवी 🙏🙏
-: शक्ती उपासक:-
पंडित-कृपाराम उपाध्याय
(ज्योतिर्विद- तत्ववेक्ता- व तंत्रज्ञ)
भोपाल म.प्र., मोबा.-7999213943
🌺 जय भैरवी🌺
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