अंधविश्वास और तंत्र साधना से बनी मौत का कारण,मैहर मंदिर की पहाड़ी के पीछे मिले 3 नर कंकालों की सुलझी गुत्थी

सीधी/मैहर। मध्य प्रदेश के मैहर जिले में मंदिर की पहाड़ी के पीछे रविवार को मिले तीन नर कंकालों की पुलिस ने शिनाख्त कर ली है। तीनों ने करीब पांच महीने पहले सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली थी। कंकालों पर मिले कपड़ों और एक ज्वैलर का नाम-पता लिखे पर्स से पुलिस ने मृतकों के परिजनों को तलाश लिया और मामले का खुलासा कर दिया है।पुलिस ने बताया कि घटना स्थल से पूजा-पाठ की सामग्री भी बरामद हुई है। लिहाजा, प्रथमदृष्टया यह मामला अंधविश्वास और तंत्र साधना से जुड़ा नजर आ रहा है। बहरहाल, पुलिस की टीम इस मामले की जांच में जुटी हुई है। सीधी जिले के रामगढ़ की रहने वाली 56 साल की छुटकी और उसके 28 साल के बेटे दीपक साकेत और 30 साल के राजकुमार साकेत ने पेड़ से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी।  पुलिस की एक टीम जब मृतकों के घर का पता लगाते हुए रामगढ़ पहुंची, तो वहां छुटकी का पति शेषमणि साकेत मिला। उसने बताया कि करीब पांच माह पहले तीनों मैहर गए थे। अक्‍सर 10 से 20 दिन वहां रुकने के बाद घर लौट आते थे। मगर, इस बार जब 30 जनवरी को घर से गए, तो फिर वापस लौटे ही नहीं। शेषमणि ने बताया कि उसे अस्थमा है, इसलिए वह अपने गांव रामगढ़ में ही रहता था। शेषमणि ने बताया कि छुटकी और दोनों बेटे को ढूंढ़ने के लिए साले और दामाद को तीन बार मैहर भेजा। मगर, उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। मुझे लगा कहीं बैठकर माता का ध्यान कर रहे होंगे। इसी वजह से मैहर और सीधी के किसी थाने में हमने इसकी शिकायत भी दर्ज नहीं कराई। किसी दूसरी जगह भी उन्हें ढूंढने के लिए इसलिए नहीं गए क्योंकि वो कभी कहीं नहीं जाते थे।

12 साल से कर रहे हैं मां शारदा की पूजा

पुलिस को शेषमणि ने बताया कि परिवार के सभी सदस्य घर में मां शारदा की पूजा कई वर्षों से करते रहे हैं। छुटकी और राजकुमार को मां शारदा की सवारी आती थी। यह घर में पूजा करते समय समस्या का समाधान करते रहे। यह सिलसिला पिछले 12 बर्ष से चलता आ रहा है। मैं शुरुआत के तीन साल तक दोनों बच्चों और पत्नी के साथ मैहर जाता था। उस समय करीब दस दिन तक वहां रहकर सभी वहां पूजा करते थे। हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना होगी। पांच महीनों से यही सोच रहे थे कि वे भक्ति में लीन होंगे। हर रोज सुबह सोचता था कि आज शायद वे लौट आएंगे। मगर, अब उनके कंकाल मिलने के बाद ये आस भी टूट गई है।

पांच महीने पहले हुई थी आखिरी बार बात

शेषमणि ने बताया कि बेटा राजकुमार मिस्त्री (घर बनाने) था और दीपक कम्प्यूटर की दुकान में काम करता था। करीब पांच महीने पहले एक फरवरी को आखिरी बार बात हुई, तो घर के हालचाल और खेत में लगे गेहूं काटने को कहा था। इसके बाद राजकुमार और दीपक दोनों के मोबाइल बंद हो गए। इसके बाद फिर बात नहीं हुई। मैहर के सीएसपी राजीव पाठक ने कहा कि शेषमणि ने बताया कि तीनों खाने-कमाने के मकसद से अक्सर मैहर आते थे। वे अक्सर ऐसा करते थे, इसलिए घर वालों ने भी पुलिस में कोई गुमशुदगी ये सोचकर दर्ज नहीं कराई कि कुछ दिन बाद वे लौट आएंगे।

सीधी के ज्वेलर्स का नाम लिखे पर्स से हुई पहचान

कंकाल में तब्दील हो चुके शवों की शिनाख्त में महिला के पास सीधी के एक ज्वेलर्स का नाम-पता लिखा पर्स जरिया बन गया। उस ज्वैलर से बात करने के बाद महिला के बारे में जानकारी मिली। इसके साथ ही मैहर देवी मंदिर के पास प्रसाद की दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने भी पुलिस को एक मोबाइल नंबर दिया था। पुलिस ने जब उस नंबर पर संपर्क किया, तो महिला के पति के बारे में जानकारी मिल गई। उससे जब महिला और उसके बेटों की फोटो मंगवाई गई, तो तीनों उन्हीं कपड़ों में दिखे, जिनमें उनके कंकाल मिले थे। पहाड़ी के पीछे मिले कंकालों से शरीर के कई अंग भी गायब थे। पुलिस ने शवों को रात में मॉर्चुरी में रखवा दिया था। उनका पोस्टमॉर्टम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम से कराया जा रहा है। छुटकी की ननद कुसुमकली और भतीजे भोला ने बताया कि मां और दोनों बेटे अक्सर मैहर आकर महीनों रुकते थे। वे पूजा-पाठ, भक्ति भी बहुत करते थे। इस घटना की जानकारी लगते ही गांव में कोहराम मच गया है। घर परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। घटना को लेकर लोग तरह-तरह के बातें कर रहे हैं। इस पूरे घटना को लेकर पुलिस गंभीरता से जांच में जुट गई है। साइबर सेल के जरिए जानकारी जुटाना की कोशिश भी की जा रही है। हालांकि परिवार वालों ने किसी व्यक्ति पर संदेह नहीं जताया है।

 

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