नाबार्ड, मध्य प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय के सहयोग से आदिवासी किसानों द्वारा उत्पादित आमों को विपणन हेतु मंच प्रदान करने के उद्देश्य से नाबार्ड द्वारा 14 से 18 जून 2024 तक आम महोत्सव 7.0 का आयोजन किया जा रहा है जिसका शुभारंभ 14 जून 2024 को मुख्य महाप्रबंधक श्री सुनील कुमार की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री चंद्रशेखर शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक, एसबीआई एवं श्री तरसेम सिंह जीरा- संयोजक, एसएलबीसी उपस्थित रहे। हेमलता जैन रचना ने बताया कि श्री कमर जावेद, महाप्रबंधक, नाबार्ड ने अपने स्वागत अभिभाषण में आम महोत्सव के आयोजन की भूमिका और उसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वाड़ी परियोजना मुख्यतः प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में क्रियान्वित है, जहाँ आजीविका के साधन सीमित होते हैं। ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में नाबार्ड ने इन आदिवासी परिवारों को आय के संधारणीय साधन के विकास का मॉडल प्रस्तुत कर एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। तरसेम सिंह जीरा, महाप्रबंधक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने अपने सम्बोधन में भारत की ग्रामीण समृद्धि में नाबार्ड के योगदान की प्रशंसा की। मध्य प्रदेश के आम उत्पादित होने वाले प्रमुख जिलों से आदिवासी किसानों को राजधानी भोपाल में बुलवाकर विपणन का मंच प्रदान करने के लिए उन्होंने नाबार्ड के प्रति आभार व्यक्त किया। श्री चंद्रशेखर शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक ने अपने उद्बोधन में कहा कि नाबार्ड की इस अनूठी पहल का मध्य प्रदेश और विशेषकर भोपाल वासियों को बड़ी उत्सुकता से इंतज़ार रहता है। शहरवासियों को रसायन मुक्त आम मिले और आम उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य, इससे बेहतर और क्या हो सकता है। आम महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम में श्री सुनील कुमार ने अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार के द्वारा प्रदत्त दायित्व का पालन करते हुए नाबार्ड ने देश की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ और समृद्ध बनाने के लिए पूर्ण समर्पण के साथ कार्य किया है। नाबार्ड ने मध्य प्रदेश में अब तक 102 परियोजनाएं स्वीकृत कर लगभग 73,875 एकड़ में वाडियों की स्थापना की है। इन परियोजनाओं से 78126 से अधिक परिवारों को लाभ पहुंचा है नाबार्ड के इस प्रयास से ना केवल किसानों की आय में वृद्धि हुई बल्कि आदिवासी क्षेत्रों में महिला सशक्तीकरण, युवाओं के पलायन को रोकने और उनकी संस्कृति को बचाए रखते हुए उनके प्राकृतिक परिवेश में रहकर जीवन यापन करने के लिए संसाधन का सृजन भी हुआ है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से लंगड़ा, केसर, मालदा, दशहरी, चौसा आदि आम आये हैं। इसके अतिरिक्त सुंदरजा आम की किस्म भी आई है जिसे जीआई टैग प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर आदिवासी परिवारों द्वारा उत्पादित आमों की बिक्री हेतु लगाए गए स्टालों का उद्घाटन किया गया और फल वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। ये फल वाहन शहर के विभिन्न क्षेत्रों में आम लेकर बिक्री हेतु जाएंगे। यह आम महोत्सव राज्य के 6 और जिलों में भी आयोजित किया गया है।
समदरजा की बढ़ी मांग
गोविंदगढ़ जिला रीवा से आए आशीष मिश्रा ने बताया कि हमारे पास समदरजा के आम उपलब्ध हैं। समदरजा को जीआई टैग मिला हुआ है तथा इसकी देश और विदेश में मांग है।आमों के यह स्टॉल स्टाल नाबार्ड, मध्य प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय, बिट्टन मार्केट में लगाए गए हैं जो कि आम महोत्सव के दौरान विक्रय हेतु 14 से 18 जून, 2024 तक उपलब्ध रहेंगे।