शिक्षक पात्रता परीक्षा के 2 वर्ष बाद भी नहीं हुई स्थाई शिक्षकों की भर्ती,सरकार युवाओं के साथ क्यों कर रही है छल

डॉ प्रभुराम चौधरीस्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री

भोपाल | स्कूल शिक्षा विभाग एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के शासकीय स्कूलों में उच्च एवं माध्यमिक शिक्षकों के रिक्त पदों पर स्थाई शिक्षकों की पूर्ती के लिए प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (व्यापम) द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा 1 फरवरी 2019 से 10 मार्च 2019 तक संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी 2 वर्ष उपरांत भी स्थाई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को अभी तक पूर्ण नहीं किया गया है, प्रदेश भर के लगभग 30,574 चयनित शिक्षकों को अपनी जोइनिंग का अभी भी इंतजार है !

शिक्षक पात्रता परीक्षा संघ के प्रदेश संयोजक रंजीत गौर के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 17,000 एवं माध्यमिक शिक्षकों के 5,670 पदों पर जबकि आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा उच्च उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 2,220 एवं माध्यमिक शिक्षकों के 5,704 पदों के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित की गई थी ! पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों द्वारा संबंधित अधिकारियों व स्कूल शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को कई बार ज्ञापन-पत्र सौंपे गए एवं राजधानी भोपाल में धरना-प्रदर्शन भी किए गए परंतु अभी तक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को सुचारू रूप से शुरू नहीं किया गया है जिससे पात्र अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश है !

शिक्षक दिवस के दिन स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार के बंगले पर पहुंचकर पात्र अभ्यर्थियों द्वारा मंत्रीजी को ज्ञापन सौंपकर सांकेतिक रूप से विरोध प्रदर्शन भी किया था ! रिक्त पदों में वृद्धि की मांग भी पात्र अभ्यर्थियों द्वारा समय-समय पर की जाती रही है , पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण दिव्यांग अभ्यर्थी वैभव चौहान ने बतलाया कि पिछली शिक्षक भर्ती 2011 में हुई थी लगभग 10 वर्षों के बाद नाम मात्र के शिक्षकों की भर्ती की जा रही है ! अत:पदवृद्धि के साथ स्थाई शिक्षक भर्ती हो जिससे कि अधिक से अधिक बीएड़/ डीएड़ धारियों को शिक्षक बनने का अवसर प्राप्त हो सके

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षक और शिक्षकों की भर्ती में पिछले 3 वर्ष के अंदर 71 से ज्यादा बेरोजगार युवाओं की मृत्यु हो चुकी है जिन्हें अपनी पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से और सरकार की षडयंत्र पूर्वक कार्रवाई की वजह से आत्महत्या जहां करना पड़ी वही कोरोना काल में घटित हुई विषम परिस्थितियों के कारण आर्थिक तंगी के चलते उन्हें विवश होकर आत्महत्या करना पड़ी या फिर परिवार के भरण-पोषण में आ रही आर्थिक परेशानियों की वजह से आत्महत्या करना भी एक वजह रही है सरकार का यह निष्ठुरता पूर्वक कृत सामाजिक ताने-बाने को तहस-नहस कर रहा है इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए क्योंकि प्रजा की रक्षा की जवाबदारी उस राज्य के राजा की होती है?

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