PPF Balance Check: पब्लिक प्रॉविडेंट फंड लॉन्ग टर्म सेविंग कम इनवेस्टमेंट स्कीम है. इस योजना को न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1,50,000 रुपये प्रति वित्तीय वर्ष के साथ सब्सक्राइब किया जा सकता है. योजना में हर वित्त वर्ष राशि को एकमुश्त या अलग-अलग किस्तों में जमा किया जा सकता है.
Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810
PPF Balance: देश में ऐसी कई स्कीम है जिसके जरिए लोग बचत कर सकते हैं. बचत करने के लिए लोग कई माध्यम भी अपनाते हैं. वहीं सरकार की ओर से भी कई बचत से जुड़ी योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं के जरिए लोग लंबे समय के लिए भी पैसा बचा सकते हैं. इन्हीं में एक स्कीम पीपीएफ यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड है. केंद्र सरकार के जरिए ये फंड संचालित किया जाता है. लोग इस फंड में लंबे समय तक पैसा निवेश कर सकते हैं. हालांकि इस फंड में एक भी रुपया निवेश करने से पहले एक बात लोगों को अच्छे से जान लेनी चाहिए और उसके बाद ही इस फंड में पैसा डालना चाहिए, वरना वर्षों की पूंजी भी बेकार हो सकता है.
पीपीएफ स्कीम
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड लॉन्ग टर्म सेविंग कम इनवेस्टमेंट स्कीम है. इस योजना को न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1,50,000 रुपये प्रति वित्तीय वर्ष के साथ सब्सक्राइब किया जा सकता है. योजना में हर वित्त वर्ष राशि को एकमुश्त या अलग-अलग किस्तों में जमा किया जा सकता है. इसमें 15 सालों का मैच्योरिटी पीरियड होता है. हालांकि 15 सालों के बाद इसे 5-5 वर्षों के ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है.
पीपीएफ ब्याज
वर्तमान में पीपीएफ स्कीम में 7.1 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर प्रदान किया जाता है जो कंपाउंडिंग के आधार पर दिया जाता है. इस योजना के तहत जमा की गई राशि आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कटौती योग्य है. ऐसे में इस योजना से टैक्स बेनेफिट भी हासिल होता है. हालांकि इस योजना में पैसा लगाने से पहले एक अहम बात का काफी ध्यान रखना चाहिए. दरअसल, कुछ लोग इस स्कीम में पैसा टैक्स बेनेफिट का लाभ हासिल करने के लिए लगाते हैं और वो निवेश की अवधि और रिटर्न को दरकिनार कर देते हैं.
पीपीएफ स्कीम
कुछ लोग निवेश पर ज्यादा रिटर्न की इच्छा रखते हैं. ऐसे में अगर इस स्कीम में पैसा लगाएं तो आपको इस बात का भी अंदाजा लगाना चाहिए कि अगर 15 साल की अवधि के लिए आप किसी जगह पैसा निवेश कर रहे हैं तो उसके बदले में आपको 15 साल बाद कितना रिटर्न चाहिए, उस कैलकुलेशन के बाद ही इस स्कीम में पैसा लगाएं. ऐसे में आपको आइडिया होगा कि आपको कितना टैक्स में फायदा होगा और कितनी अमाउंट आपको रिटर्न के तौर पर मिलेगी. बिना इसका आंकलन किए निवेश करने से आगे दिक्कत भी हो सकती है.