Astrology Tips: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मुनष्य की जन्मकुंडली से उसकी मृत्यु और मृत्यु के कारण को बड़ी ही आसानी से जाना जा सकता है. ग्रहों की स्थिति के आधार इस बात को आसानी से जाना जा सकता है.
Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810
Kundali Tips: गीता में कहा गया है जिस व्यक्ति ने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है. जो धरती पर आया है, उसे जाना भी होगा. ये एक अटल सत्य है. लेकिन ये बात भी सच है कि हम में से कोई भी व्यक्ति ये नहीं जानता कि किस व्यक्ति की मृत्यु कब, कहां और कैसे होगी. और हर व्यक्ति को इसी बात का भय रहता है कि उसकी मृत्यु कब और कैसे होगी. लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि व्यक्ति की जन्मकुंडली में उसकी मृत्यु के बारे में भी काफी कुछ पता लगाया जा सकता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली के अष्टम भाव को आयु या मृत्यु का भाव माना जाता है. इस भाव में स्थित ग्रह, राशि, ग्रहों की दृष्टि और दृष्टि के संबंध के आधार पर आसानी से इस बात को जाना जा सकता है कि व्यक्ति की मृत्यु कब और कहां होनी है. आइए जानें मृत्यु के इन योगों के बारे में.
जानें कुंडली में मृत्यु के योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक के अष्टम भाव में सूर्य विराजमान हो तो उस व्यक्ति की मृत्यु अग्नि से होती है. ये अग्नि किसी भी तरह की हो सकती है, पेट्रोल में आग लगना, गैस या कैरोसिन से जलना. वहीं, किसी व्यक्ति के आठवें भाव में चंद्र के विरामान होने पर उस जातक की मृत्यु का कारण समुद्र, नदी, झील, तालाब आदि बनता है.
ग्रह की ऐसी स्थिति में बीमारी से होती है मृत्यु
ज्योतिष अनुसार अष्टमी भाव में मंगल के होने पर व्यक्ति की मृत्यु किसी अस्त्र-शस्त्र से कट जाने या फिर आकस्मिक दुर्घटना में कई अंग के कट जाने से होती है. वहीं, अगर बुध ग्रह हो तो जातक की मृत्यु का कारण किसी प्रकार का बुखार, संक्रमण, वायरस, आदि बनता है.
बृहस्पति ग्रह के होने पर व्यक्ति की मृत्यु अजीर्ण, अपच, लीवर और पेट के रोगों से होती है जैसे फूड पॉइजनिंग, खानपान में लापरवाही आदि. अष्टम भाव में शुक्र हो तो भूख व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनती है. किसी रोग के कारण जातक को कुछ खाने का न मिल पाना.अगर कुंडली के आठवें भाव में शनि विराजमान हैं, तो व्यक्ति की मृत्यु प्यास या पानी सन मिल पाने के कारण होती है.
कहां होगी मृत्यु
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली से इस बात का भी पता लगाया जाता है कि जातक की मृत्यु कहां होगी. जैसे कुंजली के अष्टम भाव में चर राशियां मेष, कर्क, तुला, मकर होती हैं, तो व्यक्ति की मृत्यु घर से दूर किसी दूसरे शहर या विदेश में होती है.
वहीं,इस भाव में वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ राशि होने पर व्यक्ति की मृत्यु घर में होती है. इसके अलावा, अष्टम भाव में द्विस्वभाव राशियां मिथुन, कन्या, धनु, मीन होने पर व्यक्ति की मृत्यु बाहर कहीं मार्ग में होती है.