म.प्र के नौरादेही अभयारण्य का दायरा बढ़ाकर चीतों के लिए बनाया जाएगा दूसरा ठिकाना
भारत में 75 साल बाद लौटे चीतों के लिए मध्य प्रदेश में कूनो राष्ट्रीय उद्यान के बाद दूसरा ठिकाना भी तैयार किया जा रहा है। विशेषज्ञों के परीक्षण में सागर जिले में स्थित नौरादेही अभयारण्य का वातावरण चीतों के अनुकूल पाया गया है। अब अभयारण्य का दायरा बढ़ाकर टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा क्योंकि नए चीते देने के लिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञों ने संरक्षित क्षेत्र का दायरा बढ़ाने की शर्त रखी है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान के मामले में भी ऐसा ही हुआ था, इसलिए राज्य सरकार नरसिंहपुर जिले के रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर नौरादेही अभयारण्य के संरक्षित क्षेत्र का दायरा 1224 वर्ग किमी करने की तैयारी में है। पिछले माह राज्य वन्य प्राणी बोर्ड इसकी मंजूरी दे चुका है। अब केंद्रीय वन्य प्राणी बोर्ड की अनुमति के बाद नौरादेही में चीतों को बसाने के प्रबंध शुरु होंगे। वहीं, मंदसौर जिले के गांधीसागर अभयारण्य को भी चीतों के अतिरिक्त रहवास के रुप में तैयार किया जाएगा।
चीता परियोजना के लिए मध्य प्रदेश में कूनो राष्ट्रीय उद्यान, नौरादेही और फिर गांधीसागर अभयारण्य पसंद किए गए हैं। दरअसल, इन क्षेत्रों में सौ साल पहले तक चीते देखे गए हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 17 सितंबर को आठ चीते छोड़ दिए गए हैं। ये नामीबिया से लाए गए थे। अब दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए जाने हैं। इसके लिए नौरादेही अभयारण्य को भी तैयार किया जा रहा है। दूसरे चरण में भी चीते कूनो ही लाए जाएंगे लेकिन उसके बाद नौरादेही अभयारण्य में चीते छोड़े जाने हैं। 24 वर्ग किमी में फैले रानी दुर्गावती अभयारण्य और 1200 वर्ग किमी में फैले नौरादेही अभयारण्य को एक कारिडोर जोड़ता है। कारिडोर से बाघ, तेंदुआ, भालू सहित अन्य वन्य प्राणियों की दोनों संरक्षित क्षेत्रों में आवाजाही है। रानी दुर्गावती अभयारण्य का क्षेत्र छोटा है लेकिन मैदानी होने से चीतों के बहुत अनुकूल है। इसे नौरादेही में ही शामिल कर टाइगर रिजर्व बनाने का भी प्रस्ताव है। इसे और माधव नेशनल पार्क शिवपुरी को मिलाकर प्रदेश में आठ टाइगर रिजर्व हो जाएंगे। इस तरह देश में सर्वाधिक टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश में हो जाएंगे।
गांधी सागर के लिए भी एनटीसीए को भेजा जाएगा प्रस्ताव
चीतों के लिए गांधी सागर अभयारण्य को भी कूनो राष्ट्रीय उद्यान की तरह तैयार करने का प्रस्ताव है। चीतों की सुरक्षा की दृष्टि से तीन तरफ से अभयारण्य की फेंसिंग की जाएगी। जबकि चौथी तरफ गांधी सागर बांध का पानी है। मंदसौर के वनमंडल अधिकारी इसका प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। यह प्रस्ताव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को भेजा जाएगा।
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