श्री महाकाल लोक लोकार्पण प्रदेश के 17,722 मंदिरों में लाइव देखा, दीपों से सजाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को श्री महाकाल लोक का लोकार्पण किया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को समूचे मध्यप्रदेश ने लाइव देखा। कार्यक्रम के लाइव प्रसारण के लिए गांवों और शहरो में बड़ी टीवी स्क्रीन लगाई गई थी। प्रदेश के 17,722 मंदिरों में पूजा-अर्चना, दीप प्रज्ज्वलन, भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। 899 मंदिरों में वृहद कार्यक्रम मंदिर समितियों, स्थानीय प्रशासन और श्रद्धालुओं के सहयोग से आयोजित किए गए। राजधनी में कर्फ्यू वाली माता, बड़ वाले महादेव समेत शहर के मंदिरों में बड़े आयोजन हुए। शहर के प्रसिद्ध कर्फ्यू वाली माता मंदिर के सामने बड़ी रंगोली बनाई गई। इसमें श्री महाकाल लोक उज्जैन को दिखाया गया था।

विधायक भोपाल में महाकाल लोक लोकार्पण कार्यक्रम देखते हुए

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विधायक भोपाल में महाकाल लोक लोकार्पण कार्यक्रम देखते हुए

मंदिरों में जनप्रतिनिधियों ने देखा कार्यक्रम 
लोकार्पण कार्यक्रम को जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र में जनता के साथ देखा। यहां बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। भजन कीर्तन किए गए। भोपाल के हुजूर से विधायक रामेश्वर शर्मा ने बिरला मंदिर में कार्यक्रम देखा। यहां मंदिर को सजाया गया था। इसी तरह प्रदेश के शहर और गांव के मंदिरों में साज-सज्जा की गई। 

भोपाल कलेक्टर ने भी मंदिर से लाइव कार्यक्रम देखा

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भोपाल कलेक्टर ने भी मंदिर से लाइव कार्यक्रम देखा

शासन की तरफ से सभी कलेक्टर्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को लाइव दिखाने स्क्रीन लगाने के निर्देश दिए गए थे। मंदिरों में हवन-पूजन, साज-सज्जा, दीप जलाने के कार्यक्रम कराने के निर्देश दिए गए थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कार्यक्रम का साक्षी बनने उज्जैन नहीं आ सके लोगों से लाइव प्रसारण देखने की अपील की थी। साथ ही अपने गांव-शहर के मंदिरों में कार्यक्रम करने को कहा था।

विजिटर फेसिलिटी सेंटर अब मानसरोवर
लोकार्पण कार्यक्रम से पहले उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने सभी स्थानों के अंग्रेजी नाम हटाकर उन्हें हिंदी नाम दिए हैं। विजिटर फेसिलिटी सेंटर को मानसरोवर, मिड-वे ज़ोन को मध्यांचल, कमर्शियल प्लाजा को त्रिवेणी मंडपम, लोटस पॉन्ड, को कमल सरोवर, नाइट गार्डन को सांध्य वाटिका, गजिबो क्षेत्रों को त्रिपथ मंडपम व भैरव मंडपम, डेक-1 को अवंतिका और डेक-2 को कनकशृंगा नाम दिया गया है। पिछले निरीक्षण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अंग्रेजी नामों पर आपत्ति जताई थी। उनके निर्देशों पर ही हिंदी नाम रखे गए हैं। 

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