‘पंजशीर’ में मौजूद अमरुल्लाह सालेह का बड़ा बयान- अमेरिका के पैसों से तालिबान की मदद करता रहा पाकिस्तान, बाइडेन ने लिया गलत फैसला

विजय काटकर

अफगानिस्‍तान मे चल रहे घटनाक्रम को लेकर दुनिया की निगाहे लगी हुई है इस विषय में दुनिया के देशो का रूख अभी तक स्‍पष्‍ठ नही है क्‍योकि वहां की आवाम को अभी तक कोई राहत उपलब्‍ध नही हुई है वह दो जून की रोटी के लिए तरस रहे है जिसमें महिला और बच्‍चे सबसे ज्‍यादा परेशान है। दुनिया पर दादागिरी करने वाला अमेरिका भी अभी तक अफगानिस्‍तान के बारे में कोई ठोस फैसला नही ले पाया है । इस पूरे घटनाक्रम में अगर कोई फायदा उठा रहा है तो वह पाकिस्‍तान है । इसकी वजह है कि वह तालिबान की पूर्ण रूप से मदद कर रहा है और दूुनिया के अन्‍य देशो से मध्‍यस्‍ता का तालिबान की ओर से जिम्‍मा लिए हुुए है। चीन, रूस, इस घटनाक्रम पर पाकिस्‍तान के माध्‍यम से अफगानिस्‍तान पर अपना आधिपत्‍य जमाना चाहते है ।

भारत और रूस के प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति के बीच हुई चर्चा का अभी तक कोई सार्वजनिक बयान नही आया है ।

इस पूरे मसले में अमेरिका की पूरी दुनिया में थू-थू हो रही है, इसकी वजह यह है कि अमेरिका ने अफगानिस्‍तान की आवाम को तवज्‍जों न देकर तालिबान को अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा करने का पूरा मौका दिया इससे ऐसा लगता है कि मानव अधिकारो का उल्‍लंंघन तालिबानियों ने ही नही अमेरिका ने भी किया है । तभी तो तालिबान अमेरिका को आंखे दिखा रहा है तालिबान नेे अमेरिका को एक हफते में दो बार धमकी दी है कि वह 31 अगस्‍त तक अफगानिस्‍तान को खाली कर दे नही तो अंजाम बुरा होगा । दूसरी ओर इस्‍लामिक कंट्रियो का संघठन आर्गनाइजेशन आफ इस्‍लामिक कार्पोरेशन ने अपनी स्थिति स्‍पष्‍ट करते हुए कहा है कि वह अफगानिस्‍तान में शांति चाहते है तथा मानव अधिकारो की रक्षा को लेकर वह गंभीर है । चूंकि इस्‍लामिक देशो में शिया और सुन्‍नी के बीच का यह मामला किस हद तक पहुंचता है यह देखने का विषय है । इरान को छोडकर बाकी सभी देश सुन्‍नी समुदाय से अपना संबंध रखते है और तालिबान सुन्‍नी समुदाय से ताल्‍लुक रखता है । इस्‍लामिक देश तालिबान के माध्‍यम से सुन्‍नी देश अपने आप को दुनिया में तालिबान के माध्‍यम से स्‍थापित एवं ईस्‍तेमाल करना चाहते है अब देेेखना यह है कि इंसानियत म‍हत्‍व रखती है अथवा हैवानियत दुनिया पर हावी होती है ?

एक तरफ तो पंजशीर में तालिबान और नॉर्दर्न एलायंस के लड़ाकों के बीच जंग का माहौल बना हुआ है. दूसरी ओर अब बातचीत का सिलसिला भी चल रहा है. तालिबान का कहना कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं और जल्द ही नॉर्दर्न एलायंस के साथ मिलकर मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा. हालांकि, अहमद मसूद की अगुवाई में नॉर्दर्न एलायंस ने साफ किया है कि वह भी शांति चाहते हैं, लेकिन अगर तालिबान जंग चाहेगा तो जंग ही होगी

अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कहा कि उन्हें अपने देश के सैन्य बलों पर गर्व है और सरकार ने तालिबान विरोधी आंदोलन को चलाने की पूरी कोशिश की थी. एक चैनल से बात करते हुए उन्होंने पाकिस्तान पर अमेरिकी पैसों से तालिबान की मदद करने का आरोप भी लगाया. सालेह इस समय पंजशीर प्रांत में हैं, जहां तालिबान अब तक कब्जा नहीं कर सका है और इस संगठन का प्रमुख टार्गेट भी अब यही प्रांत है.

सालेह से पूछा गया कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के लिए वह किसे जिम्मेदार मानते हैं. तो इसपर उन्होंने कहा कि तालिबान पर किसी तरह का दबाव नहीं है. उसने अपने ‘सपोर्ट बेस’ के तौर पर पाकिस्तान का इस्तेमाल किया है . उन्होंने कहा, अमेरिका पाकिस्तान को पैसे भेजता था, जिसका इस्तेमाल वो ‘तालिबान का समर्थन’ करने में करता था. जितनी ज्यादा मदद अमेरिका पहुंचाता था पाकिस्तान उतनी ही ज्यादा तालिबान की सेवा करता था. बता दें इससे पहले भी पाकिस्तान पर तालिबान की मदद के आरोप लगते रहे हैं.

दोहा शांति वार्ता को बताया दूसरा कारण

जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया, तो इमरान खान ने कहा था कि तालिबान ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया है. सालेह ने तालिबान की सफलता के पीछे का दूसरा कारण दोहा शांति वार्ता को बताया. जिसने तालिबान को ‘वैध’ रूप दिया और बाद में वह अपने वादे से मुकर गया . उन्होंने कहा कि इस आतंकी संगठन ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को धोखा दिया है. इसलिए वह अहमद मसूद के नेतृत्व में नॉरर्दर्न अलायंस के अंतरर्गत तालिबान के साथ जंग के लिए तैयार हैं.

‘अमेरिका ने कीमत चुकाना शुरू किया’

अमेरिकी सरकार के सैनिकों की वापसी वाले फैसले पर सालेह ने कहा कि यह अमेरिकी सेना या फिर खुफिया एजेंसियों से संबंधित नहीं है. यह महज एक गलत फैसला है. जिसकी कीमत अमेरिका ने चुकानी शुरू कर दी है. ऐसा कहा जा रहा है कि अमेरिका की वापसी के बाद तालिबान के सबसे बड़े दुश्मन अल-कायदा का एक बार फिर से उदय हो रहा है. ट्रंप प्रशासन में आतंकवाद रोधी महकमे में वरिष्ठ निदेशक रहे क्रिस कोस्टा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अब अल-कायदा के पास अवसर है और वो उसका लाभ भी उठाएंगे. अफगानिस्तान में जो कुछ भी हुआ, वह सभी जगह के जिहादियों को प्रेरित करने वाला घटनाक्रम है.’

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