ढाका: बांग्लादेश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद स्थिति और ज्यादा गंभीर हो गई है। पिछले महीने बांग्लादेश में हुए छात्र विरोधी आंदोलन के दौरान करीब 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। रही-सही कसर नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी सरकार ने पूरी कर दी है। जुलाई से ही बांग्लादेश सामाजिक और राजनीतिक अराजकता और अशांति में घिरा हुआ है। अशांति बांग्लादेश के आर्थिक संघर्षों से गहराई से जुड़ी हुई है। बांग्लादेश के आर्थिक संकट की शुरुआत शेख हसीना के कार्यकाल में ही हो गई थी, जिसे रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ईंधन और खाद्य आयात की कीमतों में आई वृ्द्धि ने और ज्यादा भड़का दिया था।
पिछले कुछ वर्षों से बांग्लादेश की 450 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट आई है। अक्टूबर और दिसंबर 2023 के बीच जीडीपी वृद्धि 3.78% तक गिर गई। इस कारण बांग्लादेश को पिछले साल 4.7 बिलियन डॉलर के बेलआउट के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का रुख करना पड़ा था। विश्व बैंक के अप्रैल 2023 के अपडेट ने तभी बांग्लादेश के आर्थिक संकट को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन सत्ता संग्राम ने इसे भुला दिया। बांग्लादेश की वित्तीय समस्याएं उच्च वित्तीय खाता घाटा, नकारात्मक भुगतान संतुलन और विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय गिरावट के कारण और भी जटिल हो गई हैं। ये मुद्दे बैंकों से दिए गए कर्ज के एनपीए में बदले, मुद्रा में गिरावट, घटते हुए निर्यात से और भी गंभीर हो गए हैं।आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता बांग्लादेश में विदेशी निवेश और व्यापार को सीधे प्रभावित कर रही है। ऐतिहासिक रूप से एक आशाजनक निवेश गंतव्य के रूप में देखा जाने वाला बांग्लादेश अब तंग तरलता की स्थिति, बढ़ती ब्याज दरों और निजी क्षेत्र के ऋणात्मक विकास की चुनौतियों से जूझ रहा है। बांग्लादेश ने 42 देशों के साथ 31 द्विपक्षीय निवेश संधियां और दोहरे कराधान से बचाव के समझौते किए हैं। हालांकि, देश में चल रही उथल-पुथल ने इन समझौतों के भविष्य और विदेशी निवेश की स्थिरता के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। कपड़ा क्षेत्र, जो FDI का एक महत्वपूर्ण प्राप्तकर्ता है, ने 2022 में 1.2 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया, जिसमें अमेरिका और यूके प्रमुख योगदानकर्ता थे।