अस्ताना: कजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में रूस, तुर्की, चीन, भारत, कतर जैसे कई अहम देशों के नेता शामिल हुए हैं। समिट में नेताओ की आपसी मुलाकातों के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी प्रेसीडेंट व्लादिमीर पुतिन की मीटिंग ने दुनिया का ध्यान खींचा है। दोनों नेताओं ने गुरुवार को पश्चिमी देशों के गठबंधनों के मुकाबले में विशाल यूरेशियन क्षेत्र के देशों के बीच घनिष्ठ सुरक्षा, राजनीतिक और आर्थिक सहयोग पर जोर दिया है। जिनपिंग की इस कोशिश को पश्चिम देशों के नाटों के मुकाबले एक मजबूत सैन्य गठबंधन बनाने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है।शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने पश्चिम की शीत युद्ध मानसिकता का जिक्र करते हुए शी जिनपिंग के हवाले से कहा है कि एससीओ सदस्यों को एकता को मजबूत करना चाहिए। साथ ही हस्तक्षेप और विभाजन वास्तविक चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करना चाहिए। वहीं पुतिन ने एससीओ को अपने संबोधन में यूरेशिया में सहयोग और सुरक्षा के लिए रूस के आह्वान को दोहराया, जो पुराने यूरोसेंट्रिक और यूरो-अटलांटिक मॉडल को बदलने के लिए डिजाइन किया गया था।
पुतिन की अमेरिका के खिलाफ मोर्चा बनाने की कोशिश!
व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को एससीओ देशों के बीच व्यापार में डॉलर के बजाय राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग की सराहना की और नई भुगतान प्रणाली बनाने पर जोर दिया। पश्चिमी प्रतिबंधों ने मॉस्को को स्विफ्ट जैसी पारंपरिक भुगतान प्रणालियों से काट दिया है जबकि रूसी विदेशी भंडार में सैकड़ों अरब डॉलर जमा हैं। पुतिन ने कहा कि बहुध्रुवीय दुनिया वास्तविकता बन गई है। अब अधिक से अधिक देश निष्पक्ष विश्व व्यवस्था का समर्थन करते हैं और अपने कानूनी अधिकारों और पारंपरिक मूल्यों की सख्ती से रक्षा करने के लिए तैयार हैं।पुतिन ने पिछले महीने भी कहा था कि प्रस्तावित नया यूरेशियन सुरक्षा समझौता वर्तमान नाटो सदस्यों सहित क्षेत्र के सभी देशों के लिए खुला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूरेशिया से सभी बाहरी सैन्य उपस्थिति को धीरे-धीरे हटाना होना चाहिए। एससीओ राष्ट्र तेल और गैस जैसी रूसी वस्तुओं के नए प्रमुख खरीदारों का प्रतिनिधित्व करते हैं, क्योंकि यूक्रेन युद्ध पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों ने मास्को को एशिया की ओर झुका दिया है।भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने एससीओ सभा के इतर अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की और अपनी सीमा पर मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। भारत ने चीन के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान की मांग की। जयशंकर ने कहा कि वह सीमा मुद्दों को हल करने के लिए राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से प्रयासों को दोगुना करने के लिए वांग से सहमत हैं।