नए प्रावधानों को लेकर वाहन चालकों की हड़ताल को देखते हुए पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने बुधवार 2 जनवरी को मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन सहित विभिन्न वाहन चालक संगठनों की बैठक ली। हालांकि केन्द्र के आश्वासन के बाद देर शाम हड़ताल वापस ले ली गई, लेकिन सतना पुलिस कंट्रोल रूम में हुई बैठक में हादसों को लेकर अधिकारियों का हकीकत से भी सामना कराया गया। कुछ प्रतिनिधियों ने तो खुल कर कहा कि हादसे तो प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी से भी होते हैं। उनका क्या करेंगे? अपर कलेक्टर ऋषि पवार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में एडिशनल एसपी शिवेश सिंह, सिटी एसडीएम नीरज खरे, एसडीएम रघुराजनगर ग्रामीण एसके गुप्ता, सीएसपी महेंद्र सिंह, आरटीओ संजय श्रीवास्तव सहित अन्य मौजूद रहे।
ठक में बस संचालक राजेश सिंह गहरवार ने कहा कि साहब, हादसे तो विभाग की गलतियों से भी होते हैं। ज्यादातर घटनाएं अधोसंरचनागत खामी के कारण होती है। सतना से बेला रोड ही देख लीजिए कही सर्विस लेन नहीं बनी है। सतना से बेला के बीच में कहीं भी गति सीमा के बोर्ड तक नहीं लगे हैं। अधूरा निर्माण कार्य लोकार्पित कर दिया गया। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। इस वजह से रोड में हादसे होते हैं। ऐसे में चालक को जिम्मेदार ठहराना गलत है। कानून में पुन: विचार होना चाहिए।
दर्जनों बैठक लेकिन नतीजा शिफर
आटो चालक संघ के पदाधिकारी ने कहा कि सड़क सुरक्षा के नाम पर दर्जनों बैठक होती हैं लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता। कहीं गति सीमा सूचक, बसों के स्थानक, पार्किंग स्थल के संकेतक नहींं लगाए गए हैं। क्या दुर्घटना के लिए प्रशासन जिम्मेदार नहीं है? 70 फीसदी हादसे ओवर लोडिंग के कारण होती है। सभी वाहन ओवर लोड चलते हैं लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। सुविधाएं कुछ नहीं है और नए प्रावधानों में सजा इतनी भारी कर दी गई है।
वाहन चालकों सहित आम नागरिकों के हित में भी नहीं है
ट्रक एसोसिएशन- 10 साल की सजा और 7 लाख का जुर्माना वाला कानून किसी के हित में नहीं है।
टैक्सी यूनियन- इतना बड़ा दंड और जुर्माना स्वीकार नहीं है। पुराना कानून सही था। दुर्घटना तो कहीं भी किसी के साथ हो सकती है। ट्रेन और हवाई जहाज में दुर्घटना होती है। इसे वापस लिया जाए।
ट्रक ट्रांसपोर्ट- नया कानून गंभीर समस्या है। ड्राइवरों के लिए कोई इंस्टीट्यूट तो है नहीं।दुर्घटना जानबूझ कर नहीं की जाती है। ये प्रावधान कठोर हैं।
बस एसोसिएशन- चालकों को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। यह ड्राइवर सहित आम नागरिकों के हित में भी नहीं है क्योंकि घटना किसी के चलाने पर हो सकती है। इसके पहले शराबबंदी की जानी चाहिए।
इन पर भी हो कार्रवाई
बैठक के बाद बस एसोसिएशन के पदाधिकारी ने कहा कि सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में तीन साल से ब्लैक स्पॉट खत्म करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। लेकिन हो कुछ नहीं रहा है। सड़क की सड़कों पर पटरियां खत्म है या अतिक्रमण की चपेट में है। सर्विस लेन बिना हाइवे हैं। ऐसे में तो हादसे होंगे ही। गांवों के बीच से गुजरने वाले हाइवे में कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं है। घर से लोग सीधे निकल कर हाइवे में चले आते हैं। गांव या कस्बों के बीच से गुजरने वाले हाइवे पर ऐसे स्थलों पर आम आवाजाही रोकने इंतजाम करने चाहिए।