कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों को चुनने में भारतीय जनता पार्टी ने कोई जोख़िम नहीं लिया. पार्टी ने वहां ‘गुजरात मॉडल’ दोहराने से परहेज़ किया है.
लेकिन उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद बीजेपी के कई ऐसे नेताओं ने या तो पार्टी छोड़ने का फ़ैसला लिया है या फिर चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का फ़ैसला किया है जिन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया. इनमें एक मंत्री और एक पूर्व उप-मुख्यमंत्री भी शामिल हैं.
कर्नाटक चुनाव के लिए टिकटों का बंटवारा करते हुए बीजेपी ने उम्मीदवारों की लगभग उसी फ़ेहरिस्त पर मुहर लगाई है, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अपना समर्थन दिया था और जिसमें ‘जांचे परखे’ विधायकों के नाम शामिल थे.
बीजेपी को टिकटों के बंटवारे में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ से गुरेज़ करने का ख़्याल उस वक़्त आया, जब दो दिन पहले प्रत्याशियों की अपनी लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व को थमाने के बाद नाराज़ येदियुरप्पा बेंगलुरू लौट गए थे.
नाम न बताने की शर्त पर पार्टी के पदाधिकारियों ने बीबीसी हिंदी को बताया कि टिकट देने से पहले केंद्रीय नेतृत्व उम्मीदवारों की तीन सूचियों पर विचार कर रहा था. जब येदियुरप्पा दिल्ली से बेंगलुरू लौट गए तो केंद्रीय नेतृत्व को ये एहसास हुआ कि येदियुरप्पा की सूची काफ़ी हद तक ख़ुद केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सर्वे के आधार पर तैयार कराई गई लिस्ट से मिलती-जुलती है.
news reporter raju markam 9301309374