पटना I पिछले 8 साल में नीतीश कुमार द्वारा तीन बार महागठबंधन से त्यागपत्र दिया गया लेकिन आप फिर से छठ पूजा में शामिल होकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर एक राजनीति सियासत को जहां गर्म कर दिया है वही विपक्ष को एकजुट करने का उनका इरादा टूटता हुआ नजर आ रहा है I
एनडीए के साथ उनका जोड़ना और दूर होना यह साबित करता है कि नीतीश कुमार राजनीति को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं यह राजनीति को को भी समझ पाना बहुत मुश्किल साबित हो रहा है जबकि सारा विपक्ष उन्हें देश की राजनीति के लिए आगे करने जा रहा था नीतीश कुमार ने रविशंकर प्रसाद गिरिराज सिंह बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करके राजनीति को गरमा दिया है वही आने वाले लोकसभा 2024 के चुनाव को मध्य नजर रखते हुए राजनीतिक दिशा भी बदल दी है। आने वाले समय में नीतीश कुमार जेडीयू को एनडीए में फिर से जोड़ने वाले हैं ऐसा मीडिया की खबरों से जाहिर हो रहा है। अब आगे देखना यह है कि नीतीश कुमार की राजनीति का ऊंट किस करवट समय रहते बदलने वाला है।
उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार राजनीति को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश जहां करते हैं कभी वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते नजर आते हैं तो कभी भारतीय जनता पार्टी से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की कवायद में जा लगी हुई है वहीं समाजवादी नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या इसी धारा में बहने जा रहे हैं यह समय के गर्त में हैं।