आतंकियों की लिक्विड एक्सप्लोसिव साजिश का पता लगाएगा एलईडी, पुलिस महकमा जल्द खरीदेगा मशीन
फिलहाल प्रदेश में कोई संदिग्ध तरल विस्फोटक का पता लगाने के लिए कोई तंत्र नहीं है। कहीं पर यह मिले तो उसे बम निरोधक दस्ते की मदद से निष्क्रिय कर दिया जाता है, लेकिन अब कहीं पर ऐसा कोई संदिग्ध विस्फोटक मिलेगा तो उसके लिए एक मशीन होगी।
आतंकवाद की जड़ों पर एक और वार करने की तैयारी कर ली गई है। जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान और उसके गुर्गों के नापाक मंसूबों से निपटने के लिए पुलिस ने एक बड़ा कदम उठाते हुए लिक्विड एक्सप्लोसिव डिटेक्टर (एलईडी) खरीदने का फैसला किया है।
यह अपनी तरह की पहली खरीद होगी, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए आतंकवादी संगठनों द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों को विफल किया जा सकेगा। आतंकी संगठन तेजी से जिलेटिन जैसे तरल विस्फोटक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस समय फिलहाल कहीं पर भी कोई संदिग्ध तरल विस्फोटक का पता लगाने के लिए कोई तंत्र नहीं है। यदि कहीं पर यह मिले तो उसे बम निरोधक दस्ते की मदद से निष्क्रिय कर दिया जाता है, लेकिन अब कहीं पर ऐसा कोई संदिग्ध विस्फोटक मिलेगा तो उसके लिए एक मशीन होगी।
पुलिस महकमा तरल विस्फोटक डिटेक्टर ला रहा है। इसकी खास बात यह होगी कि यह एक मिनट में किसी भी तरह के तरल विस्फोटक का पता कर लेगा। कहीं भी, किसी भी चीज में इसको छुपाकर रखा जाएगा तो भी उसका पता कर लिया जाएगा।
डिटेक्टर पर एक स्क्रीन भी होगी, जिसमें साफ पता चलेगा कि यह कौन सा तरल पदार्थ है। मशीन की खास बात यह भी होगी कि इसका स्टार्ट बटन दबाने के बाद यह डेढ़ मिनट के कम समय में काम करना शुुरू कर देगा।
अगले 90 दिन में इसकी खरीद प्रक्रिया पूरी होगी। एक निजी कंपनी से इसको खरीदा जाएगा। उक्त कंपनी की ही जिम्मेदारी होगी कि वह इसका रखरखाव भी करे।
तरल विस्फोट बन रहे चुनौती
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस समय पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को लगातार आतंकी संगठनों से लगातार चुनौती मिल रही है। पुलिस के लिए तरल विस्फोटक पदार्थों का पता लगाने में परेशानी हो रही है। इसलिए उक्त डिटेक्टर लाए जा रहे हैं। पिछले कुछ समय से आतंकियों द्वारा तरल विस्फोटक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे निपटने के लिए हम ऐसा कर रहे हैं।
15 साल बाद मिला था तरल विस्फोटक
बता दें कि इसी वर्ष 6 मार्च को श्रीनगर में 3 लीटर सफेद रंग का तरल विस्फोटक बरामद हुआ था। करीब 15 साल बाद श्रीनगर में यह विस्फोटक मिला था। जिसे पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए भेजा गया था।
यह तरल विस्फोटक ट्रिनिट्रोटोलुइन या नाइट्रोग्लिसरीन था, जिसकी अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। विस्फोटक डिटेक्टर से ट्रिनिट्रोटोलुइन या नाइट्रोग्लिसरीन के अलावा हाइड्राजीन, सलफरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड, निट्रोबैंजीन, ईथनोल, मिथनोल, जेट प्रॉपलेंट, मिथाइल, इथाइल किटोन जैसे तरल पदार्थों का भी पता लगाया जा सकेगा।