विजय काटकर
मध्यप्रदेश के जबलपुर में आदिवासी समाज के आजादी का बिगुल बजाने और बगावत की बागडोर संभालने वाले पिता पुत्र शंकर शाह रघुनाथ शाह का “बलिदान दिवस” एक औपचारिकता मात्र बनकर रह गया ।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृहमंत्री का जबलपुर आगमन आदिवासियों के मन में कई सवाल खडे कर गया क्योकि जबलपुर प्रशासन और मध्यप्रदेश प्रशासन ने आदिवासी समाज के लोगो पर जो कहर ढाया वह संदेह और इनके हक अधिकारो को झकझोर गया । अपने आराध्य बलिदानियो की पूजा अर्चना करने से उन्हे पुलिस प्रशासन ने बलपूर्वक रोका तथा उनके काले मास्क, गुलुबन्द, क्राफ जैसेे वस्त्र कार्यक्रम शामिल होते वक्त उनसे उतरवा लिए गये । वही इस बलिदान दिवस पर फोकस कम सरकारी योजना कार्यक्रमो पर ज्यादा ध्यान भाजपा सरकार द्वारा दिया गया ।
यह अच्छा हुआ कि आदिवासियो के शरीर की काली चमडी शासन प्रशासन ने नहीं उतरवाई खिचवाई । आदिवासियों के विरोध स्वर को दबाना गोरे अंग्रेजो ने ही नही काले अंग्रेजो ने भी अपने दमनचक्र से दबाया है और दबाते चले आ रहे है । लेकिन अब आदिवासी समाज पहले से ज्यादा जागृत हो चुका है ।
मध्यप्रदेश की संस्कृत धानी जबलपुर में आदिवासी आराध्य शंकर शाह एवं रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर सरकार द्वारा बलिदान दिवस मनाया गया । इस अवसर पर देश के गृह मंत्री अमित शाह का आगमन हुआ । उन्होंने आदिवासियो के आराध्य स्वतंत्रता संग्राम पिता पुत्र को पुष्प श्रध्दा सुमन अर्पित कर श्रध्दाजंलि दी । इससे पहले आदिवासियो द्वारा पूजा अर्चना करने का कार्य किया गया लेकिन जबलुपर पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हें अपने श्रध्दा सुमन अर्पित करने से रोका गया क्योकि मध्यप्रदेश की सरकार यह नही चाहती थी कि गृृह मंत्री के आगमन से पहले संपूर्ण आदिवासी समाज का व्यक्ति श्रध्दा सुमन अर्पित करे । जब आदिवासी समाज के लोग पूजा अर्चना करने गये तो उन्हे सख्ती से पुलिस प्रशासन द्वारा रोका गया जो कि आदिवासी समाज के हक और अधिकारो को रोकने की कोशिश की गई ।
चूंंकि जबलपुर में 18 सितंबर 2021 का यह कार्यक्रम जनजातिय पर फोकस होना चाहिए था लेकिन देखने में आया कि यह कार्यक्रम आदिवासियो के हित में न होते हुए सरकारी कार्यक्रम बनकर रह गया, उज्जवला योजना पर ज्यादा फोकस किया गया ।
यह समझ से परे है कि जब आदिवासियो के आराध्य को श्रध्दा सुमन अर्पित करने के लिए देश के गृह मंत्री आये थे तो फिर क्यो अन्य कार्यक्रम रखे गये जिससे ऐसा आभास होता है कि बलिदान दिवस कार्यक्रम की एक औपचारिकता मात्र पूर्ण की गयी जिससे आदिवासी समाज का अनादर किया गया । ऐसा लगता नही है की प्रदेश और देश की सरकार आदिवासियो के हक और अधिकार के लिए गंभीर है । देश के गृृहमंत्री अमित शाह को विदित हो या ना हो लेकिन उन्होने जनजातिय लोगो का कितना ध्यान रखा यह समझ से परे है । मध्यप्रदेश सरकार और जबलपुर प्रशासन द्वारा गृृहमंत्री अमित शाह को शायद गुमराह किया है क्योकि जनजातिय कार्यक्रम को तव्वजो ना देकर अन्य सरकारी कार्यक्रम पर ध्यान दिया गया । इससे आदिवासी समाज में यह संदेश गया है कि हमारे पूर्वज पुरखो को जितना सम्मान मिलना चाहिए था उतना सम्मान प्रदेश और राष्ट्र की सरकार द्वारा नही दिया गया , देश के गृह मंत्री अमित शाह का कार्यक्रम एक औपचारिकता मात्र बनकर रह गया।
वही इस अवसर पर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष सूरज जयसवाल और सुभाष जयसवाल एवं प्रदेश के पदाधिकारियो द्वारा बलिदान स्थल पर श्रध्दांजलि अर्पित की गयी तथा संकल्प लिया गया कि आदिवासियो के हितो के लिए अपने प्राणो की आहुति देकर उनके हक और अधिकारो के लिए संघर्ष किया जायेगा ।
प्रदेश अध्यक्ष सूरज जयसवाल ने कहा कि आज हम संकल्प लेते है कि आदिवासी समाज के लिए कांग्रेेस और भारतीय जनता पार्टी द्वारा अभी तक जो किया गया है वह नाकाफी है । इसलिए आगामी समय में जनता दल यूूनाइटेड आदिवासियो के हक और अधिकार के लिए काम करेगा इसके लिए “वृहत गोडवाना मंच” की स्थापना की गयी है इसमें तीन प्रकार के संघठन का निर्माण किया जायेगा जिसमें रानी दुर्गावती प्रकोष्ठ, शंकर शाह प्रकोष्ठ एवं रघुुुनाथ शाह प्रकोष्ठ बनाया जायेगा जो आदिवासियो के हक और अधिकार के लिए आने वाले समय में संघर्ष करेगा ।