अफगानिस्‍तान राष्‍ट्रपति भवन पर अब तालिबान का कब्जा, चीन के करीब तालिबान (ड्रेगन की चाल क्‍या करेगी कमाल)

तालिबान ने अफगानिस्तान में युद्ध समाप्त होने की घोषणा तब की जब संगठन ने काबुल में राष्ट्रपति भवन पर नियंत्रण कर लिया। राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को यह कहते हुए देश छोड़कर भाग गए कि वह रक्तपात से देश को बचाना चाहते हैं, जबकि लाखों लोग अफगानिस्तान को छोड़ने के लिए काबुल हवाई अड्डे व उसके करीब पहुंच गये।

सोमवार को काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भारी भीड़ देखने को मिली. देश छोड़कर भागने के लिए हजारों की संख्या में लोग एयरपोर्ट पहुंच गए और विमान को चारों तरफ से घेर लिया. जहाज के अंदर धक्का-मुक्की करने लगे, वहीं कुछ लोग विमान पर ही अपनी जान बचाने के लिए लटक गए और जैसे ही फ्लाइट लैंडिंग हुई वह आसमान की ऊंचाई से जमीन पर आ गिर पड़े.

फायरिंग के दौरान 6 लोगो की मौत होने की खबर

अफगानिस्तान में तालिबानी युग की शुरुआत होने के बाद से ही वहां स्थिति भयावह बनी हुई है. लोग बिना सामान लिए ही देश छोड़कर भाग रहे हैं. काबुल एयरपोर्ट पर भी भारी भीड़ जमा हो गई है, जिसे काबू करने के लिए कमर्शियल फ्लाइट्स को बंद करने का ऐलान किया गया है. इसके बाद लोग रनवे पर बैठ गए हैं और यूएस आर्मी के विमान में घुसने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोग विमान के निचले हिस्से में बैठ गए थे. लेकिन जैसे ही विमान हवा में पहुंचा दो लोग नीचे जमीन पर आ गिरे.

तालिबान से दोस्ती क्यों करना चाहता है चीन, सामने आई ड्रैगन की नई चाल

आखिर क्या कारण है कि तालिबान के लिए चीन के दिल में इतनी हमदर्दी बढ रही है? इसका कारण है कि चीन लालच देकर तालिबान के जरिए अफगानिस्तान में अपनी जड़ें जमाना चाहता है. इससे पहले वहां अमेरिकी फोर्स की तैनाती थी और उस दौरान चीन की दाल गलना मुश्किल हो रही थी. 

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पूरी दुनिया खौफ में है और सभी देश अपने नागरिकों को किसी भी तरह वहां से निकालने में जुट गए हैं. भारत ने भी रविवार को 129 भारतीयों की एअर इंडियाके विशेष विमान के जरिए काबुल से रेस्क्यू किया है. कुछ देश तो तालिबान सरकार को मान्यता देने के खिलाफ हैं जबकि चीन तालिबान के साथ दोस्ती करना चाहता है.

तालिबान और ड्रैगन की दोस्ती! 

चीन ने सोमवार को कहा कि वह तालिबान के साथ दोस्ताना रिलेशन बनाना चाहता है और अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देने के लिए भी तैयार है. इसके अलावा चीन ने साफ कर दिया कि वह काबुल स्थित अपने दूतावास को बंद नहीं करेगा. चीन के अलावा पाकिस्तान, तुर्की और रूस जैसे देश भी काबुल में अपने दूतावास को ऑपरेशनल रखने को तैयार हैं. इससे इतर कनाडा जैसा देश पहले ही तालिबान की घुसपैठ के बाद अफगानिस्तान से अपने राजनीतिक संबंध तोड़ चुका है.

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