मीडिया पर हमला क्‍यों? सरकार कटघरे में

पूरी दुनिया के अंदर राजनीतिक हलचल को देखते हुए मीडिया पर अधिकतर दुनिया की सरकारों ने उनकी जांच प्रमुखता से विभिन्‍न जासुसी ऐजेंसियों से कराई, द वासिंगटन पोस्‍ट ओर 16 मीडिया सहयोगियो द्वारा जांच में पाया गया कि कम से कम 37 स्‍मार्ट फोन 50,000 नंंबरों की उस सूची में है जो निगरानी के वास्‍तविक या संभावित लक्ष्‍यों की सूची लगती हैा पेेेरिस के एक लाभकारी संस्‍थान फाॅॅरबिडन स्‍टोरीस और मानव अधिकार समूह एमेनेस्‍टी इंटरनेेेशनल ने समाचार संगठनों से सूची साझा की है जिन्‍होने अतिरिक्‍त शोध और विश्‍लेषण किया वहीं भारत में सरकार ने कहा इन दावों में कोई सच्‍चाई नही है ा आइटी मंत्री अश्विनी वैष्‍णव जो खुद पेगासस के शिकार हुए, ने कहा कि हमारे कानूनों ओर प्रक्रियाओं को देखते हुए भारत में कोई भी गैर कानूनी निगरानी संभव नही हैा

भारतीय टेलीग्राफ ऐक्‍ट 1885 की धारा 5(2) और आईटी एक्‍ट 2000 की धारा 69 देश की सम्‍प्रभुता, सुरक्षा, दूसरे राष्‍ट्रों से मित्रता सम्‍बंधों या सार्वजनिक व्‍यवस्‍था को खतरा होने की स्थिति में टेेलीफोन संवाद और इलेक्‍ट्रानिक डेटा को इंटरसेप्‍ट करने की अनुमति देती हैा

इंजरायिली कम्‍पनी एनएसओ के पेगासस स्‍पाईवेयर का इस्‍तमाल किया जाना बहुत ही खतरनाक एवं चिंताजनक हैा सरकार नागरिकों की जासूसी कर रही हैै जबकि आतंकवादियों को ट्रेक करने अथवा अपराध रोकने के लिए सरकार द्वारा कम्‍युनिकेशन इंटरसेप्‍ट करने पर किसी को आपति नही है, किन्‍तु आम नागरिकों के साथ साथ मीडिया और राजनेताओं की निजता में हस्‍तक्षेप किया जाना मानव अधिकारों का हनन है जो इस घटना क्रम से परिलक्षित होता हैा

उल्‍लेखनीय है कि दुनिया के 180 पत्रकारों (मीडिया से जुडेे लोग) जिनमें भारत के 40 पत्रकारों की जासूसी के साथ दुनिया के कई राजनेताओ, कारोबारियों की जासूसी विभिन्‍न सरकारों द्वारा कराया जाना लोंकतंत्र और मानव अधिकारों का उल्‍लंघन हैा भारत सरकार के द्वारा इस संभावना को नकारना इस बात का घोतक है कि भारत में भी किसी ना किसी स्‍तर पर भारतीय नागरिकों की जासूसी करवाई गई जिसकी जांच होना अति महत्‍वपूूर्ण है क्‍योकि सरकार यदि ऐसा नही करती है तो इससे यही परिलक्षित होता है कि सरकार ने ही जासूसी करवाई हैा

(विजय काटकर)

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