बीजेपी जहां आम आदमी पार्टी की बादशाहत को इस बार खत्म करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, दूसरी तरफ कांग्रेस भी मुकाबले को त्रिकोणीय बना राष्ट्रीय राजधानी में खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिश में है। कांग्रेस को शायद लगता है कि दिल्ली में वह अपना खोया जनाधार तभी हासिल कर सकती है जब वह AAP के साथ गठबंधन न करे। पिछले 2 चुनाव से कांग्रेस दिल्ली में खाता तक नहीं खोल पा रही है। बीजेपी का हाल भी कुछ अच्छा नहीं रहा है