टोल टैक्स के रूप में कंपनियों ने वसूले ₹1.44 लाख करोड़,

नई दिल्ली : सरकार की तरफ से साल 2000 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूलना शुरू करने के बाद से हाईवे यात्रियों ने यूजर फी के रूप में लगभग 2.1 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह केंद्र की तरफ से राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के निर्माण पर किए गए खर्च का एक छोटा सा हिस्सा है। इसके लिए चालू वित्त वर्ष के लिए ही 2.7 लाख करोड़ रुपये का आवंटन अनुमानित है।जबकि निजी कंपनियों ने हाईवे प्रोजेक्ट में अपने निवेश की भरपाई पीपीपी के तहत खंडों से एकत्र किए गए टोल से करते हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को केवल उन खंडों से टोल मिलता है जो 100% सरकारी फंडिंग से बनाए गए हैं। राज्यों में, सबसे अधिक टोल उत्तर प्रदेश में हाईवे यूजर्स से आया। यूपी में देश में सबसे बड़ा हाईवे नेटवर्क भी है। मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों से कोई टोल राजस्व नहीं मिला।

गडकरी जी ने कहा कि दिसंबर, 2000 से अब तक राष्ट्रीय राजमार्गों पर सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत संचालित टोल प्लाजाओं पर यूजर्स शुल्क के रूप में 1.44 लाख करोड़ रुपये की राशि एकत्र की गई है।

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