मोदी सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची झारखंड सरकार,

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश पर सरकार कबतक फैसला ले, इसकी कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं है। इसीलिए ऐसा भी देखा जाता है कि कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकारें कभी-कभी देर तक कोई फैसला नहीं लेती। लेकिन अब इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई है। गुहार किसी और ने नहीं बल्कि एक राज्य सरकार ने लगाई है। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने। उसका आरोप है कि झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति में केंद्र सरकार जानबूझकर देरी कर रही है।झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हेमंत सोरेन सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार जस्टिस एम. एस. रामचंद्र राव को झारखंड हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के 11 जुलाई के प्रस्ताव को लागू करने में जानबूझकर देरी कर रही है।

अटॉर्नी जनरल ने CJI और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच को बताया कि वह अगले हफ्ते उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर विवरण देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वे शुक्रवार को स्थगन का अनुरोध नए सिरे से करें क्योंकि मामला पहले ही सूचीबद्ध हो चुका है।11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस राव का हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट से झारखंड तबादला करने की सिफारिश करने के अलावा 7 उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा था। हालांकि, केंद्र ने कुछ 'संवेदनशील सामग्री' का हवाला देते हुए कॉलेजियम से कुछ सिफारिशों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था।इस सामग्री के आधार पर, कॉलेजियम ने 17 सितंबर को तीन उच्च न्यायालयों- हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और जम्मू और कश्मीर और लद्दाख - में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर अपने प्रस्तावों में बदलाव किए थे।

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