नई दिल्ली, 24 जून 2024: जीएसटी में हाल में हुई बढ़ोतरी से पे-टु-प्ले ऑनलाइन स्किल गेमिंग इंडस्ट्री पर बहुत बुरा असर देखने को मिला है। जीएसटी टैक्स में संशोधन कर डिपॉजिट पर 28% की लेवी लगाए जाने के बाद इस सेक्टर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अर्न्स्ट एंड यंग (EY) और यू.एस.-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) द्वारा जारी एक संयुक्त रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। अध्ययन में पता चला है कि अत्यधिक टैक्स की वजह से चौतरफा चुनौतियां सामने आई हैं। इसमें फंडिंग की कमी, उभरते क्षेत्र की कंपनियों की विकास दर में कमी, नौकरियों का जाना और अनिश्चितता में वृद्धि जैसे बुरे असर शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इसका सबसे बुरा असर छोटे खिलाड़ी पूल वाले कैजुअल गेम्स वाले रियल-टाइम गेमिंग फॉर्मेट पर देखने को मिला है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें:
घरेलू और वैश्विक निवेशकों से मिले 2.6 बिलियन डॉलर के एफडीआई निवेश के बावजूद अक्टूबर 2023 से इस क्षेत्र में “फंडिंग विंटर” की स्थित यानी फंड की जबरदस्त कमी की स्थिति बनी हुई है। कुल एफडीआई निवेश में से 90% पे-टू-प्ले फॉर्मेट सेगमेंट को मिला है। कुछ कंपनियों ने नए जीएसटी व्यवस्था के बाद मुख्य निवेशकों के पूरी तरह से हाथ खींचने की बात स्वीकार की है।
अधिक टैक्स का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। बदलाव से पहले जीएसटी लागत राजस्व का 15.25% थी। 1 अक्टूबर, 2023 से जीएसटी ने 33% कंपनियों के राजस्व का 50-100% हिस्सा ले लिया है और स्टार्टअप के मामले में यह उनके कुल राजस्व को भी पार कर गया है, जिसकी वजह से वे घाटे में काम करने के लिए मजबूर है। रिपोर्ट के मुताबिक अलग-अलग फॉर्मेट पर इसका प्रभाव अलग-अलग है। अत्यधिक जीएसटी दर की वजह से कैजुअल गेम्स पर विशेष रूप से अपना अस्तित्व बनाए रखने का खतरा मंडरा रहा है।
इस क्षेत्र के आधे से अधिक उद्यमों को स्थिर या घटते राजस्व की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जबकि 25% में 50% तक की वृद्धि में गिरावट देखी जा रही है, जो पिछली 100-200% की वृद्धि दर के बिल्कुल विपरीत है। व्यावसायिक संभावनाओं में यह उलटफेर सीधे तौर पर नई जीएसटी व्यवस्था के कारण हुआ है।
जीएसटी में वृद्धि के कारण मार्जिन कम हुआ है जिससे कर्मचारियों की छंटनी की गई है और टेक्नोलॉजी, प्रॉडक्ट, एनीमेशन और डिजाइन जैसे विशिष्ट स्किल के लिए होने वाली नई नियुक्तियां पूरी तरह से रुक गई हैं। कई कंपनियों ने बिना किसी भर्ती, छंटनी और यहां तक कि परिचालन बंद होने की वजह से नौकरियों के प्रभावित होने की सूचना दी है। नई जीएसटी व्यवस्था ने इस क्षेत्र की व्यावहारिकता को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है, जो सही प्रतिभाओं को इस क्षेत्र में आने से रोकते हुए उद्योग की चिंताएं बढ़ा रहा है।
अनिश्चित संभावनाओं के बीच एक तिहाई कंपनियां टैक्स की उच्च दरों के जारी रहने के कारण बाहर निकलने की रणनीतियों पर विचार कर रही हैं, इससे इंडस्ट्री के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 17% कंपनियां इक्विटी घाटे के कारण सक्रिय रूप से खरीदारों की तलाश कर रही हैं, और अन्य 17% अक्टूबर 2023 के बाद से मुनाफे से घाटे की स्थिति में चली गई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर भारत में ऑनलाइन स्किल गेमिंग के लिए सबसे अधिक टैक्स का भुगतान करना होता है। अधिकांश देश जीजीआर/प्लेटफ़ॉर्म शुल्क, प्लेटफॉर्म के लिए वास्तविक राजस्व पर टैक्स लेते हैं। सीमित मामलों में जहां देशों में डिपॉजिट पर टैक्स लगता है, वहां जीजीआर मॉडल के साथ समानता बनाए रखने और क्षेत्र पर अत्यधिक बोझ से बचने के लिए दर कम होती है। उदाहरण के लिए, पोलैंड और पुर्तगाल में डिपॉजिट पर क्रमशः 12% और 8% टैक्स का भुगतान करना होता है।
ईवाई इंडिया में टैक्स पार्टनर बिपिन सप्रा ने कहा, “जीएसटी व्यवस्था के तहत टैक्स अधिक होने से स्किल बेस्ड ऑनलाइन मनी गेमिंग इंडस्ट्री पर काफी असर पड़ा है। उद्योग की वृद्धि पर टैक्सेशन के विपरीत प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, गेमिंग कंपनियों के सर्वे से पता चला है कि अधिकांश कंपनियां या तो ग्रॉस गेमिंग राजस्व या प्लेटफॉर्म फी पर टैक्स लगाए जाने के पक्ष में हैं। यह नजरिया सेक्टर के ग्रोथ को बढ़ावा देते हुए राजस्व नुकसान को रोकेगा। इस नजरिए में यह माना जाता है कि टैक्स लगाने के लिए उचित व्यवस्था प्लेटफॉर्म शुल्क है, जो गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं को कवर करता है, जबकि शेष राशि विजेताओं के लिए पुरस्कार राशि में योगदान करती है।”
USISPF के प्रेसिडेंट और सीईओ डॉ. मुकेश अघी ने कहा, “वैश्विक प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाते हुए, भारत को ऑनलाइन गेमिंग टैक्सेशन और रेग्युलेशन के लिए गेम ऑफ स्किल और गेम और चांस के बीच स्पष्ट रूप से अंतर करना चाहिए। भारत दुनिया भर से नए जमाने की तकनीकों और निवेशों को आकर्षित कर इस व्यवस्था से लाभ उठा सकता है। हमारी रिपोर्ट बताती है कि उच्च कर का प्रभाव रियल टाइम गेम्स के मामले में कुछ कंपनियों तक सीमित है, जहां व्यवसाय अभी भी विकसित हो रहे हैं। गेमिंग सेक्टर को बढ़ने और बेहतर क्षमता हासिल करने के लिए उसे समर्थन दिए जाने की आवश्यकता है।”
अलग-अलग जगहों पर गेम्स ऑफ स्किल और गेम्स ऑफ चांस पर टैक्स की दरें अलग-अलग होती हैं। वैश्विक इनडायरेक्ट टैक्सेशन की व्यवस्था और उद्योग की आम सहमति ऑनलाइन स्किल गेमिंग पर लगाए गए उच्च टैक्स के खिलाफ जाती है। डिपॉजिट से लेकर प्लेटफॉर्म शुल्क जीजीआर तक पे-टू-प्ले ऑनलाइन स्किल गेम्स पर टैक्स लगाने के जीएसटी परिषद के फैसले की समीक्षा करने की मांग करने वालों का मानना है कि टैक्स में कटौती होने से इस सेक्टर के भीतर फल-फूल रहे भारतीय स्टार्टअप्स के विकास में मदद करेगी। इसके अतिरिक्त, यह उपभोक्ताओं को उन ऑफशोर प्लेटफॉर्म की ओर जाने से रोकेगा, जो टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं और जहां यूजर्स सुरक्षा उपाय मजबूत नहीं होते हैं। एक बेहतर टैक्स बेस यानी जीजीआर और रेट हासिल करना इंडस्ट्री, सरकार और यूजर्स सभी के लिए फायदेमंद होगा।