नई पीढ़ी को किताबों से जोडऩे में सहायक साबित हो सकती है ‘ई-लाइब्रेरी’

भोपाल, 24 जून।  ‘ज्ञान’ से मनुष्य सक्षम और समृद्ध होता है।  यह ‘ज्ञान’ हम अध्ययन और अनुभव से ही प्राप्त कर सकते हैं। ‘ज्ञान’ अर्जित करने  का महत्वपूर्ण स्थल पुस्तकालय होते हैं।  कम्प्यूटर और मोबाइल के युग में ‘ई-लाइब्रेरी’ ज्ञान अर्जन का श्रेष्ठ  विकल्प  साबित हो सकता है। इस जरिये हम नई पीढ़ी में किताबों के प्रति रुचि जगा सकते हैं।  यह कहना है उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल का। वे आज सप्रे संग्रहालय में स्थापित  ई- लाइब्रेरी के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।  इस ई-लाइब्रेरी की स्थापना हरदा के सुप्रसिद्ध वकील पं. रामेश्वरदास गार्गव की स्मृति में  उनके पौत्र सुप्रसिद्ध चिकित्सक एवं समाज सेवी डॉ. एनडी गार्गव के सौजन्य से  नर्मदा चेरिटेबल पब्लिक ट्रस्ट द्वारा की  गई है। इस अवसर पर पत्रकारिता तथा सृजन कार्य से जुड़ी दो विभूतियों को सम्मानित भी किया गया। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि राजेन्द्र शुक्ला ने ऐतिहासिक धरोहर संजोने और शोध के क्षेत्र में संग्रहालय द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना भी की। अध्यक्षीय उद्बोधन में  प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि नए समय में ई-बुक्स,ई-लाइब्रेरी जैसे माध्यम आये हैं। इनके जरिये नई पीढ़ी हमारे प्राचीन साहित्य-संस्कृति से जुड़ रही है। समाज के लिए यह अच्छा शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि सप्रे संग्रहालय ने पत्रकारिता के साथ ही शोध और शिक्षा के क्षेत्र में देश भर में अपनी पहचान कायम की है। स्वागत् उद्बोधन देते हुए संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि यह ई-लाइब्रेरी  संस्थान में अब तक स्थापित लाइबे्ररी का तीसरा प्रारूप  कहा जा सकता है। अब तक यहां परंपरागत् लाइब्रेरी,डिजीटल लाइब्रेरी थे, आज से यह नया आयाम जुड़ गया है। इन तीनों के जरिये हम यहां  सामग्री संजो रहे हैं, जिसका लाभ अब तक हजारों शोधार्थी उठा चुके हैं। यह क्रम निरंतर जारी है। आरंभ में संग्रहालय की ओर से विवेक श्रीधर और वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाठक ने अतिथियों का स्वागत् किया। कार्यक्रम का संचालन संग्रहालय की निदेशक डॉ. मंगला अनुजा ने किया तथा आभार प्रदर्शन भूपेश गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में पत्रकारिता तथा साहित्य जगत से जुड़ी विभूतियों के साथ ही नार्मदीय समाज के लोग उपस्थित थे। 

 बॉक्स-शोधार्थियों का ‘विश्वास’ है संग्रहालय

 कार्यक्रम में माधवराव सप्रे राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से दैनिक भास्कर के राज्य संपादक सतीश सिंह तथा महेश गुप्ता सृजन सम्मान से  बाल पुस्तकालय की रचनाकार कु. मुस्कान अहिरवार को  सम्मानित किया गया। सतीश सिंह पत्रकारिता के साथ ही शोध के क्षेत्र में सक्रिय हैं तो कु. मुस्कान ने मलिन बस्ती में कपड़े सुखाने के तार पर किताबें लटका कर बस्ती के बच्चों में किताबों के प्रति आकर्षण जगाया था। आज उस बाल पुस्तकालय में तीन हजार से ज्यादा किताबें हैं। अपने सम्मान के प्रति उत्तर में सतीश सिंह ने कहा कि सप्रे संग्रहालय ने ऐतिहासिक सामग्री को न केवल संजोया है बल्कि शोध सामग्री के क्षेत्र में भी अपनी विशेष पहचान बनाई है। जब भी इस तरह की सामग्री की बात चलती है तो इस संग्रहालय का ही नाम आता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि संस्थान शोधार्थियों का ‘विश्वास’ बन चुका है। वहीं, कु. मुस्कान ने बाल पुस्तकालय की स्थापना के अनुभवों को साझा किया। 

बॉक्स- शोधार्थियों के लिए नई पहल

ज्ञान  तीर्थ माधवराव सप ्रेस्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपालमेंई-लाइब्रेरी की स्थापना की गईहै। इंटरनेटआधारित इस अध्ययन सुविधा से शोधार्थियों के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागियों को भी लाभ मिलेगा। विद्यार्थीउपयोगीवेबसाइटों का लाभउठासकतेहैं।नर्मदाचैरिटेबलपब्लिक ट्रस्ट ने हरदाके प्रतिष्ठितसमाजसेवीपं. रामेश्वरदासगार्गव की स्मृतिमेंई-लाइब्रेरी की स्थापनामेंसप्रेसंग्रहालय कोसहयोगप्रदानकियाहै। ट्रस्ट के प्रमुख डा. एन.डी. गार्गव ने इसकीपहलकी। ट्रस्ट कईवर्षों से शैक्षिककार्योंमेंविद्यार्थियोंऔरसंस्थाओंकोसहयोगकररहाहै।

 बॉक्स-भारतीय स्टेटबैंक के सहयोग से डिजिटललाइब्रेरी

भारतीय स्टेटबैंक के सहयोग से सप्रेसंग्रहालय में 25 लाख पृष्ठ दुर्लभसंदर्भसामग्रीडिजिटलस्वरूपमेंपठन-पाठन के लिए तैयारहै।कम्प्यूटरस्क्रीनपर शोध छात्र इसकालाभउठारहेहैं।डिजिटलीकरण की यह परियोजना इस वित्तवर्ष के अंत तकपूर्णहोजाएगी। इस परियोजना के अंतर्गतडिजिटलीकृतमहत्वपूर्णपाठसामग्रीमेंभारतीय नवजागरणकाल की ऐतिहासिकपरिघटनाओं का प्रामाणिकवृत्तांतदर्जहै।अर्थात स्वाधीनताआंदोलन, समाजसुधारआंदोलन, स्वदेशीऔरस्वावलंबनआंदोलन का विस्तार से प्रामाणिकअध्ययन करनाहै, तबउसकाविवरणइन्हींडिजिटलपन्नोंमेंमिलेगा।लोकमान्य तिलकऔरमहात्मागांधी के साहित्य और पत्रिकाओं का संग्रह शोध-अध्ययन का महत्वपूर्णआधारहै।पुरानेगजेटियरऔरभारतेन्दुकालीनसाहित्यकारोंऔरसंपादकों की पुस्तकें एवं पत्रिकाएँ दुर्लभऔरलगभगअप्राप्य हैं।हिन्दी की युगनिर्माता पत्रिकाओं-सरस्वती, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, विशालभारत, माधुरी, मधुकर, मर्यादा, चाँद, सुधा, गृहलक्ष्मी, धर्मयुग, साप्ताहिकहिन्दुस्तान, दिनमान, हंस, विश्वमित्र, प्रभा, श्रीशारदा, गंगा, विज्ञान, विद्यार्थी, भूगोल, हिन्दू, पंच, महारथी, प्रेमा, वाणी, त्यागभूमि, सैनिक, माडर्नरिव्यू, कर्मयोगी, कर्मवीर, इलस्ट्रेटेडवीकलीऑफइंडिया, ग्वालियरस्टेटगजट, होल्करस्टेटगजट, मालवा अखबार, जयाजीप्रताप, अभ्युदय, अलहिलालइत्यादि ऐसीसंदर्भसामग्रीसे भरीहुईहैंजिनसेपिछले 150 वर्षों के भारत का सर्वांगीण अध्ययन कियाजासकताहै। इनके अलावादसहजारपत्रों का भीसंकलनहै।सकलसामग्रीपाँचकरोड़ पृष्ठों से अधिकहै।

परंपरागतपुस्तकालय

सप्रेसंग्रहालय शोधार्थियोंकोभोपालगैसरिसन त्रासदी से लेकरकोविडमहामारीतकतमामबड़ी घटनाओं के अध्ययन के लिए संदर्भसामग्रीसुलभकराताहै।भारतमेंजनगणनाऔरआमचुनाव, जनजातीय संस्कृतिऔरसमाजतथाहिन्दी, उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, सिंधीआदिभाषाओं का विपुलसाहित्य संग्रहसप्रेसंग्रहालय को समृद्ध बनाताहै।देश-विदेश के शोधकर्ताओं के साथ-साथरचनाकारऔरपत्रकार इस संग्रह का लाभउठारहेहैं। यह भोपाल का सबसेबड़ापुस्तकालय है।यहाँ बैठकर अध्येतागणपरंपरागतपुस्तकालय सेवा का भीलाभचारदशक से उठारहेहैं।अभीतकदेश-विदेश के 1238 शोधार्थीडी.लिट्., पीएच.डी. और एम.फिल. उपाधि के लिए अपनीथीसिससप्रेसंग्रहालय की संदर्भसहायता से पूरीकरचुकेहैं।

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– चित्र परिचय-  महेश गुप्ता सृजन सम्मान से सम्मानित होती  बाल पुस्तकालय की रचनाकार कु. मुस्कान अहिरवार

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