मध्यप्रदेश में व्यापमं से बड़ा घोटाला “नर्सिंग कॉलेज घोटाला”

भोपाल। क्रिएशन एंड प्रोजेक्शन डॉटकॉम के संचालक अभिताभ अग्निहोत्री ने पत्रकारवार्त्ता में जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि – प्रदेश पहले ही व्यापमं घोटाले के रूप में हुए देश के सबसे जघन्य और क्रूर घोटाले का गवाह बन चुका है। अब मध्यप्रदेश में व्यापमं से भी बड़ा नर्सिंग घोटाला नेताओं एवं अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है। प्रदेश का भविष्य सिर्फ डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले छात्रों का भविष्य और जीवन बर्बाद करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब नर्सिंग कॉलेज के अधिक छात्रों का भविष्य 3 वर्ष तक परीक्षाऐं नहीं होने के कारण अंधकारमय रहा। प्रदेश में 667 नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं। हमें सूचना के अधिकार के तहत् जो सूचना प्राप्त हुई है, उसमें मध्य प्रदेश नर्सिंग कौंसिल ने बताया कि वर्ष 2020-21 में 26 नर्सिंग कॉलेज, इस प्रकार कुल 156 नर्सिंग कॉलेज अमानक पाये गये। इसी तरह 2021-22 में भी 130 नर्सिंग कॉलेज को गध्य प्रदेश नर्सिंग कौंसिल ने अमानक माना। दिनांक 29.07.2022 को यह जानकारी दी गई। इण्डियन नर्सिंग कौंसिल ने नोटिफिकेशन पत्र क्रमांक-F.No.-1-6/NRC/2022-INC दिनांक 25.08.2022 जारी पत्र में यह संख्या 241 बतायी। इन कॉलेजों द्वारा दी जाने वाली डिग्री को फ्रॉड डिग्री माना जावे। इण्डियन नर्सिंग कौंसिल ने यह नोटिफिकेशन मध्यप्रदेश नर्सेज़ रजिस्ट्रेशन कौंसिल, भोपाल की जानकारी के आधार पर जारी किया।

सी.बी.आई. की रिपोर्ट में 169 कॉलेजों को सुविधासम्पन्न एवं मात्र 73 कॉलेजों को सुविधाविहीन एवं 66 कॉलेजों को कम सुविधविहीन बताया है, जबकि चौकाने वाला तथ्य यह है कि जिन 166 कॉलेजों को सी.बी.आई. द्वारा सुविधासम्पन्न बताया गया है, उनमें 7 कॉलेजों को मध्यप्रदेश नर्सेज़ रजिस्ट्रेशन कौंसिल, भोपाल ने सुविधाविहीन मानते हुए इनकी मान्यता समाप्ति की जानकारी सूचना के अधिकार के अन्तर्गत दी है। इन कॉलेजों के नाम हैं :-

(1) FLORENCE NIGHTINGALE COLLEGE/SCHOOL OF NURSING, Gwalior
(2) PARASHAR NURSING MAHAVIDYALAYA, BHOPAL
(3) MAA KAILA DEVI INSTITUTE, GWALIOR
(4) NRI INSTITUTE OF NURSING & RESEARCH, BHOPAL
(5) TECHNOCRATS INSTITUTE OF NURSING, BHOPAL
(6) PBGM NURSING COLLEGE, BHOPAL
(7) LAS COLLEGE, DHAR

प्रदेश में चल रहे नर्सिंग घोटाले के घटनाक्रम पर नज़र डालें तो मध्य प्रदेश नर्सिंग कौंसिल ही नहीं, माननीय उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के 29 जून, 2022 के आदेश से पता चलता है कि माननीय हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई जाँच कमेटी ने जिन 200 कॉलेजों का निरीक्षण किया, उनमें से 70 कॉलेज अमानक पाये गये हैं।

इसी तरह माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने 23 अगस्त, 2022 को मध्य प्रदेश नर्सिंग कौंसिल के रजिस्ट्रार को निलंबित करने का आदेश देकर प्रशासक नियुक्त करने का आदेश दिया। अनियमितता के मामले में पूर्व में कौंसिल की रजिस्ट्रार श्रीमती चंद्रकला दिवगैया को निलंबित किया, संगीता तिवारी प्राचार्य, नर्सिंग महाविद्यालय उज्जैन को निलंबित किया, सुप्रिवा विक्टर ट्यूटर एफएचडब्ल्यू, ट्रेनिंग सेंटर धार को निलंबित किया, नेहा टाइट्स सिस्टर ट्यूटर शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय उज्जैन को निलंबित किया, गायत्री पुरोहित सिस्टर ट्यूटर स्कूल ऑफ नर्सिंग देवास को निलंबित किया, मालती लोधी प्राचार्य स्कूल ऑफ नर्सिंग जबलपुर को निलंबित किया, सेवंती पटेल सिस्टर ट्यूटर शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय उज्जैन को निलम्बित किया, शारदा नागवंषी सिस्टर ट्यूटर शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय विदिशा को निलम्बित किया। इस कार्यवाही से पता चलता है कि न सिर्फ कॉलेजों को मान्यता देने में घोटाला किया गया है, बल्कि जाँच कर क्लीन-चिट देने में भी घोटाला हुआ है। यानि व्यापमं घोटाले की तरह इस घोटाले के भी अलग-अलग स्तर हैं। इन सभी पर एफआईआर क्यों नहीं करायी?

सबसे पहली बात तो यह है कि जब 156 नर्सिंग कॉलेज मध्यप्रदेश नर्सेज़ रजिस्ट्रेशन कौंसिल, भोपाल द्वारा अमानक घोषित कर मान्यता समाप्त की, तो फिर कागज़ों पर यह किस तरह से चल रहे हैं। बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से छात्रों के एडमिशन और रजिस्ट्रेशन कॉलेज में कर दिए जाते हैं। इण्डियन नर्सिंग कौंसिल द्वारा मध्यप्रदेश के 241 अमानक नर्सिंग कॉलेजों के मामले को सार्वजनिक क्यों नहीं किया? इण्डियन नर्सिंग कौंसिल ने नोटिफिकेशन F.No.-1-6/SNRC/2022-UNC, दिनांक 25.08.2022 के माध्यम से धारा 14(3) का उपयोग करते हुए मध्यप्रदेश के 241 नर्सिंग कॉलेजों को अमान्य किया एवं इनके द्वारा दी जाने वाली डिग्री को फ्रॉड माना जावे, ऐसा उल्लेख किया।

इस घोटाले के दूसरे पहलू पर आप नज़र डालें तो बड़ी संख्या में ऐसे अस्पताल सामने आये हैं, जो अनामक हैं। हमारे पास ऐसे नर्सिंग कॉलेजों की पूरी सूची उपलब्ध है, जिनमें एक ही अध्यापक कई-कई नर्सिंग कॉलेज में पढ़ते हुए दर्शाये गये हैं।

यह कुछ शुरूआती तथ्य हैं, जो हमने आपके संज्ञान में रखे हैं। यानि नर्सिंग घोटाला जिस तरह से प्रदेश में चल रहा है, जहाँ कॉलेज फर्जी हैं, फैकल्टी फर्जी हैं, पढ़ाई की सुविधाऐं फर्जी हैं, मान्यता फर्जी है, यहाँ तक कि बुनियादी सुविधाऐं फर्जी हैं और इन सबकी जाँच करने वाली मध्यप्रदेश नर्सिंग कौंसिल की कमेटी तक धाँधली कर रही है। नर्सिंग घोटाला करने वालों के हौंसले इस कदर बुलंद हुए हैं कि वह हाईकोर्ट में पेश की जाने वाली रिपोर्टों में भी तथ्यों से हेर-फेर करने, झूठे साक्ष्य पेश करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।

हमारे पास इन सभी कॉलेजों की सूची है, उन फैकल्टी की पूरी सूची उपलब्ध है, जो कई-कई नर्सिंग कॉलेज में पढ़ा रहे हैं। संभावना इस बात की है कि ये नर्सिंग कॉलेजों को राजनीतिक संरक्षण में मान्यता दी गई है। डुप्लीकेट फैकल्टी के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं - वर्ष 2021-22 में दीपक राव रीवा, रतलाम, बालाघाट में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सेवाऐं दे रहे हैं। देवकिशन चौहान ग्वालियर, सागर, मंदसौर में प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सेवाऐं दे रहे हैं।

यह बात हमने सिर्फ सिर्फ उन नर्सिंग कोलेज के बारे में कही है जो मध्यप्रदेश नर्सिंग कौंसिल ने सूचना के अधिकार के तहत् दी गई जानकारी व माननीय हाईकोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में नर्सिंग कौंसिल की जाँच में अनामक पाए गए हैं, लेकिन हम दावे से कहते हैं कि प्रदेश में चल रहे 667 नर्सिंग कॉलेज की पूरी जाँच की जाएगी तो इनमें से मुश्किल ही बहुत कम नर्सिंग कॉलेज ऐसे होंगे जो नेशनल नर्सिंग कौंसिल के मानकों के अनुरूप चल रहे हैं।

आप लोगों की सुविधा के लिए मैं नर्सिंग कौंसिल के कुछ नियम आपको बता देता हूँ जिनसे आपको स्पष्ट हो जाएगा कि मध्यप्रदेश में वाकई कितने नर्सिंग कॉलेज नियमों का पालन कर रहे हैं। भारतीय नर्सिंग कौंसिल के मापदण्ड अनुसार एक आदर्श नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए 23,720 वर्गफिट में टैक्नीकल ब्लॉक होना चाहिए और 30,750 वर्गफिट में होस्टल होना चाहिए। इस तरह से एक नर्सिंग कॉलेज में कम से कम 54,470 वर्गफिट कुल निर्मित क्षेत्रफल होना चाहिए। इतने बड़े भवन निर्माण के लिए लगभग 10 करोड़ रू. की आवष्यकता होगी। क्या इन नर्सिंग कॉलेजों के पास 10 करोड़ रू. थे? इस मामले की जाँच  ई.डी. एवं सी.बी.आई. द्वारा की जावे। 40 से 60 छात्रों की क्षमता वाले नर्सिंग कॉलेज के लिए एक प्रिंसिपल, एक वाईस प्रिंसिपल, दो एसोसिएट प्रोफेसर, 3 असिस्टेंट प्रोफेसर और 10 से 18 के बीच ट्यूटर होने चाहिए। मेरी मध्यप्रदेश सरकार को चुनौती है कि वह सूची जारी करें और बताए कि कौन-कौन से नर्सिंग कॉलेज इन मानकों का पालन कर रहे हैं। इसके अलावा नर्सिंग कॉलेज के लिए 100 बिस्तर का अस्पताल भी अनिवार्य है। इस मामले की जाँच सीबीआई के साथ ई.डी. को भी करनी चाहिए, क्योंकि लाखों छात्रों की छात्रवृत्ति भी इन कॉलेजों ने प्राप्त की होगी। यह छात्रवृत्ति की राषि कहाँ गयी? मध्यप्रदेश शासन ने वर्तमान में कॉलेज माफिया के बचाव के लिए नियम विरूद्ध मापदण्डों में परिवर्तन कर कॉलेज भवन 6,200 वर्गफिट कैसे कर दिये? जाँच एजेंसियों को यह भी जाँच करना चाहिए कि 54,470 वर्गफिट के निर्माण के लिए कॉलेज संचालकों के पास पैसा कहाँ से आया?

षिक्षण संस्थाओं में आरक्षित वर्ग में छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। जिन नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता समाप्त हुई, उन नर्सिंग कॉलेजों ने शासन से कितनी छात्रवृत्ति प्राप्त की एवं शासन ने यह छात्रवृत्ति वापस लेने के लिए क्या कार्यवाही की एवं शासन ने मान्यता समाप्त किये गये नर्सिंग कॉलेजों से कितनी छात्रवृत्ति वापस ली। उदाहरणार्थ - मध्यप्रदेश नर्सेज़ रजिस्ट्रेशन कौंसिल, भोपाल ने पत्र क्रमांक/म.प्र.न.रजि.कौं./2022/11439, भोपाल, दिनांक 04.08.2022 को कलेक्टर, भोपाल एवं सहायक आयुक्त, अनुसूचित जाति एवं जन जातीय कार्य विभाग को भोपाल जिले की नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता समाप्त करने संबंधी जानकारी उपलब्ध करायी।

चौकाने वाला तथ्य यह है कि वर्ष 2020-21 में मध्यप्रदेश नर्सेज़ रजिस्ट्रेशन कौंसिल, भोपाल ने 667 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी, जबकि इण्डियन नर्सिंग कौंसिल ने वर्ष 2020-21 में मध्यप्रदेश में मात्र 162 नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी थी।

मध्यप्रदेश मंत्रीमण्डल की बैठक में भी मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया एवं ओमप्रकाश सखलेचा ने नर्सिंग घोटाले की चर्चा की, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इन मंत्रियों को चुप करा लिया था। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि नर्सिंग घोटाले के घोटालेबाजों को सत्ता शीर्ष का संरक्षण है।

हमारी आरोप है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के इतने बड़े घोटाले पर नेताओं, शासन के अधिकारियों, निरीक्षण समिति, दलालों, कॉलेज संचालकों पर अभी तक एफ.आई.आर. क्यों नहीं करायी?

हमारा सुझाव है कि नर्सिंग कॉलेजों की जाँच में टैक्नीकल एक्सपर्ट एवं विषय विषेशज्ञों की सेवाऐं भी ली जावें।

क्रिएशन एंड प्रोजेक्शन डॉटकॉम के संचालक अभिताभ अग्निहोत्री ने पत्रकारवार्त्ता में जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि - पूर्व में मध्यप्रदेश काँग्रेस कमेटी के प्रवक्ता की हैसियत से मैंने “मध्यप्रदेश के नर्सिंग घोटाले” पर एक तथ्यात्मक किताब लिखी थी, जिसको मध्यप्रदेश काँग्रेस कमेटी के काँग्रेस नेता कमलनाथ, रणदीप सुरजेवाला, भंवर जितेन्द्र सिंह, जीतू पटवारी से जारी करने का निवेदन किया था, परन्तु हमारे इस निवेदन को काँग्रेस नेताओं ने अस्वीकार कर दिया।

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