हरदा | मध्यप्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ होते अत्याचारों की कहानी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है अभी नेमावर हत्याकांड का मामला शांत भी नहीं हुआ है वही हरदा जिले के ग्राम पिपलिया कामा थाना सिराली में एक आदिवासी युवक को जलाकर मार डालने की कोशिश की गई यह समझ से परे है कि मध्यप्रदेश में प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई छगन भाई पटेल नए राज्यपाल का पद ग्रहण करते ही आदिवासियों के लिए गुजरात में काम करने का दावा किया था सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी से ताल्लुक रखने वाले राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आदिवासियों के हित में की जा रही घोषणा है नाकाफी साबित हो रही हैं क्योंकि मध्यप्रदेश में आदिवासियों खिलाफ घटनाएं जहां बढ़ती जा रही हैं वही उनके विकास के लिए कोई ठोस आधारभूत कार्यक्रम नहीं बनाया गया है।
पिपल्या थाना सिराली ,जिला हरदा मैं आदिवासियों को जलाने वाले आरोपियों पर तत्काल कानूनी कार्यवाही और जल्द एफ आई आर दर्ज हो , अन्यथा हजारों आदिवासी युवा एसपी कार्यालय के सामने उग्र आंदोलन करेंगे
शनिवार – दोपहर 12 बजे
सेवा जोहार सगाजन, 15/10/21 शुक्रवार शाम को ग्राम पिपल्या में दशहरा के दिन हमारे पूर्वज राजा रावण के दहन का प्रयास किया गया, ( ग्राम पिपल्या में आदिवासी समुदाय के विरोध के बाद दो साल से रावण दहन बंद है)। शुक्रवार को बिना किसी पूर्व सूचना के रावण दहन किया जाना था, इसकी सूचना लगते ही आदिवासी समुदाय द्वारा इसका विरोध जताकर रावण दहन करने से मना किया गया लेकिन जानबूझकर व भीड़ का दबाव बनाकर जबरन जलाने की कोशिश की गई।
केरोसीन डालकर जलाया गया…..
विरोध कर रहे व दहन रोक रहे आदिवासी ग्रामीणों, महिलाओं पर जानलेवा हमला किया गया, मारपीट की गई। केरोसीन डालकर जलाने का प्रयास किया गया, इसमे एक व्यक्ति के ऊपर भी केरोसीन दाल दिया व आग लगा दी गयी इसमें बसंत करोची का एक हाथ पूरी तरह झुलस गया है।
कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट…
इसी मामले में मामला शांत कराने आ रहे पांडरमाटी के साथी रूपेश उइके, जय उइके के साथ भी गोमगाँव गांव में मारपीट की गई, जिससे वे घटना स्थल पर नहीं पहुंच पाए।
नहीं लिखी FIR…
इस पूरी घटना की FIR करने पहुंचे ग्रामीणों की रिपोर्ट नहीं लिखी गयी, व रात 2 बजे थाने से वापस पहुँचा दिया गया।
समझौते व मामले को दबाने का प्रयास…
इस पूरी घटना में आदिवासी समुदाय के विरुद्ध हुई हिंसा पर कार्यवाही करने की जगह पुलिस अधिकारी SP व थाना प्रभारी मामले को दबाने व आदिवासी समुदाय पर समझौते का दबाव बनाया गया।
थाना घेराव व FIR दर्ज कर कार्यवाही हेतु आंदोलन
लगातार ग्रामीणों के निवेदन के बावजूद पुलिस दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने से बचने हेतु मामले को दबाने का प्रयास करती रही।