Malabar Drill: चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव के बीच भारत ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे ड्रैगन को मिर्ची लगेगी.
Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810
Malabar Naval Exercise: चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव के बीच भारत ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे ड्रैगन को मिर्ची लगेगी. दरअसल, मालाबार नौसैनिक अभ्यास (Malabar Exercise) पहली बार इस साल अगस्त में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया जाएगा, जिसके लिए भारत अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों के साथ-साथ पी-8I लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान भेजेगा. यह अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की किसी प्रकार की दादागिरी खत्म करने में अहम कदम है. बता दें कि भारत ने साल 2020 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया को मालाबार अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने का ऐलान किया था. चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत और ऑस्ट्रेलिया की दोस्ती काफी अहम मानी जा रही है.
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर बनाया प्लान!
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने पिछले शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज (Anthony Albanese) के अलावा वहां के कई बड़े अधिकारियों से मुलाकात की थी. इस दौरान दौरान द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी, आर्थिक अवसर, लोगों के बीच संबंध, क्रिकेट और हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत कई विषयों पर चर्चा हुई. विदेश मंत्री एस. जयशंकर पिछले एक साल में तीसरी बार ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे.
ऑस्ट्रेलिया ने जताई थी मालाबार अभ्यास की मेजबानी की इच्छा
बता दें कि पिछले साल मालाबार एक्सरसाइज (Malabar Exercise) का आयोजन पूर्वी चीन सागर के पास योकोसुका में किया गया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने भी हिस्सा लिया था. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने मालाबार एक्सरसाइज की मेजबानी करने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद अगस्त में ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी में मालाबार नौसैनिक अभ्यास का आयोजन किया जा रहा है.
चीन तेजी से कर रहा है नौसेना का विस्तार
चीन लगातार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है और तेजी से अपनी नौसेना का विस्तार कर रहा है. बता दें कि चीन के पास 355 युद्धपोत और पनडुब्बियां है और उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है.
1992 में शुरू हुआ था मालाबार अभ्यास
मालाबार नौसैनिक अभ्यास (Malabar Exercise) की शुरुआत साल 1992 में भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था. इस युद्धाभ्यास में साल 2015 में जापान और 2020 में ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार हिस्सा लिया. चीन से मिल रही चुनौती को देखते हुए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के बीच होने वाला यह अभ्यास काफी महत्वपूर्ण है.