भोपाल : कैबिनेट में पंचायत चुनाव कराने के लिए लगाए गए अध्यादेश को वापस करने का निर्णय लिया है इस अध्यादेश को निरस्त करने के लिए राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा हालांकि अभी सरकार इस मामले में सिर्फ यह कह रहे हैं कि सरकार ने जनहित में देश वापस दिया है छुट्टी के दिन रविवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट बैठक बुलाई थी इस बैठक के बाद निर्णय की जानकारी एवं मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने पंचायत विकास मंत्री पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 9 क के अंतर्गत आज हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया है इस आदेश को विधानसभा की सूची में शामिल किया गया था अपरिहार्य कारणों से यह विधेयक नहीं ला सके थे | अब अध्यादेश निरस्त करने का फैसला करने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग इस मामले की कार्रवाई करेगा |
बता दें, निर्वाचन आयोग के रिमाइंडर लेटर के बाद सरकार ने भी देर शाम पत्र जारी करते हुए अपनी मंशा स्पष्ट कर दी. प्रदेश में ओबीसी के लिए आरक्षित 70 हजार पदों को छोड़कर शेष बची एससी, एसटी और सामान्य वर्ग की 3 लाख 25 हजार सीटों पर निर्धारित कार्यक्रम के तहत चुनाव होने हैं. 6 जनवरी को पहला चरण, 28 जनवरी को दूसरा चरण और 16 फरवरी को तीसरे चरण के लिए मतदान होना है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश विधानसभा में कह चुके हैं कि एमपी में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे. जरूरत पड़ी तो इसके लिए सरकार कोर्ट जाएगी. सीएम ने बताया कि इस मसले पर उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा हुई है. साथ ही कानूनविदों से भी इसपर मंथन किया गया. पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण सरकार के गले की हड्डी बन गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी सीट को सामान्य किया जाना है. लेकिन ओबीसी नेता इससे नाराज हैं. पार्टी की दिग्गज ओबीसी नेता उमा भारती भी सरकार के खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही थीं. अब सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए सरकार वचनबद्ध है. हम ओबीसी हित में ही काम करेंगे.