इजरायल के साथ अप्रत्यक्ष युद्ध में फंसकर ईरान के कमजोर होने के बाद तुर्की के राष्ट्रपति को सुन्नी दुनिया का नेता बनने का मौका मिल गया है। यही वजह है कि वे विद्रोही गुटों को समर्थन दे रहे हैं। अगर सीरिया की सत्ता शिया राष्ट्रपति के हाथों से हटकर सुन्नी विद्रोहियों के हाथ में जाती है, तो सुन्नी दुनिया में तुर्की के एर्दोगान का रुतबा बढ़ जाएगा। लेकिन यह इतना आसान नहीं होने वाला है। शिया ईरान असद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीरिया में असद के शासन को बचाने की हर संभव कोशिश करेगा। इसके चलते एक नए युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है, जिसमें तुर्की भी उतर सकता है। ऐसे में आइए एर्दोगान की सेना की ताकत जान लेते हैं।