राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और चीन के बीच LAC पर बनी सहमति ग्लोबल स्टेज में डिफेंस डायलॉग की अहमियत दिखाता है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों एलएसी पर कुछ एरिया में मतभेद को दूर करने के लिए लगातार डिप्लोमेटिक और मिलिट्री स्तर पर बातचीत कर रहे थे और कर रहे हैं। बातचीत की वजह से ही यह सहमति बनी कि समान सिक्योरिटी और म्युचुअल सिक्योरिटी के सिद्धांत पर स्थिति को रिस्टोर किया जाए। राजनाथ सिंह ने कहा कि सहमति पेट्रोलिंग और ट्रेडिशनल एरिया में ग्रेजिंग (जानवरों को चराना) को लेकर बनी। यह लगातार बातचीत की ताकत है। क्योंकि बातचीत से ही जल्दी या देर में समाधान निकलते हैं।रक्षामंत्री ने कहा कि घरेलू स्तर पर ही हथियार और सैन्य उपकरण बनाने से यह न सिर्फ सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करते हैं बल्कि इकॉनमी में भी योगदान देते हैं। जॉब के अवसर पैदा करते हैं। साथ ही कहा कि हमें इसका मूल्यांकन करना होगा कि डिफेंस जैसे अहम सेक्टर को इकॉनमिक डिवलपमेंट के डिसकोर्स में वह अहमियत नहीं दी जाती, जो दी जानी चाहिए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि डिवेलपमेंट और सिक्योरिटी के बीच के संबंध पर वह ध्यान नहीं दिया गया जो दिया जाना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि मेरे ख्याल से डिवेलपमेंट और सिक्योरिटी एक दूसरे से गहराई से जुड़ी हैं। हमारी सरकार ने लगातार इस गैप को भरने की कोशिश की है। सेस्टेनेबल डिवेलपमेंट तभी होगा जब देश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी का मतबल सिर्फ बॉर्डर डिफेंस नहीं है। आंतरिक स्थिरता, इकॉनमिक सुदृ़ढता, क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा, यह सब देश की सुरक्षा के संपूर्ण फ्रेमवर्क के लिए अहम है।लेकिन इसे इकॉनमिक ग्रोथ के डायरेक्टर फैक्टर के तौर पर रिक्गनाइज नहीं किया जाता। किसी भी देश के बजट का एक अहम हिस्सा सिक्योरिटी पर जाता है और इकॉनमिक डिवेलपमेंट तभी तेजी से हो सकता है जब देश सुरक्षित हो। सिक्योरिटी सेक्टर भी जॉब क्रिएशन में, तकनीक के विकास में और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में अहम योगदान देता है।