‘विकसित भारत’ का उन्मेष और शिक्षकों की भूमिका- अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ

अपनी स्वतन्त्रता के 75 वर्ष बीतने के बाद आज का भरत कई मायने में एक युगान्तकारी परिवर्तन का वाहक और साक्षी बनता दिख रहा है। नया भारत आत्मविश्वास से भरपूर और अपने मूल्यों के प्रति सजग रहते हुए उत्तरदायित्वपूर्ण तरीके से विश्व का नेतृत्व करने को उत्सुक है। आज भारत विश्व की पांचवीं से तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य अंतरिक्ष विज्ञान, डिजीटल तकनीक, तकनीकी नवाचार जैसे क्षेत्रों में जो उपलब्धियां हासिल की है उसने राष्ट्र के आत्मबोध को जगाने के साथ-साथ विश्व के समक्ष अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया हैG 20 जैसे सफल आयोजन भारत की क्षमता के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं को दर्शाता है। भारत ने विगत कॉंछ वर्षों में 25 करोड़ से ज्यादा लोगों को गरीबी रेखा से निकाला है। भारत का चन्द्रयान मिशन 3, हरित ऊर्जा का बढ़ता उत्पादन, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम और ग्लोबल इनोवेशन इन्डेक्स की नवीनतम रिपोर्ट में 39वां स्थान पर आना, विश्व मंच पर भारत के प्रति एक विश्वास जागृत किया है। आज भारत विश्व के प्रमुख आपूर्ति श्रृंखला एवं उत्पादक के रूप में आशा की किरण बना है।

वैश्विक संकट के समय में भारतीयों की रक्षा का प्रश्न हो या अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों में भारत के दृष्टिकोण का विषय हो भारत ने बिना किसी दबाव के एक स्वतन्त्र नीति का अनुसरण किया हैआज की यह परिस्थिति हमें उत्साह और आहलाद देती है, परन्तु मार्ग में अनेक चुनौतियां और बाधायें भी हैं। राष्ट्र के बाहर और भीतर ऐसी शक्तियां हैं जिन्हें भारत की उभरती व सशक्त उपस्थिति बिल्कुल भी भा नहीं रही है। अनेक प्रकार से ऐसी शक्तियों के आघात प्रतिघात बढ़ रहे हैं। इनका पूरा एक इको सिस्टम कार्य कर रहा है जो देश के भीतर और बाहर दोनों जगह सक्रिय है। इस इको सिस्टम की एक श्रृंखलाबद्ध संरचना है, जिसमें बु‌द्धिजीवी, पत्रकार, राजनीतिक कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, फिल्म एवं वेबसीरीज के निर्माता व निर्देशक, लेखक और विभिन्न प्रकार के गैर सरकारी संगठन शामिल हैं। ये बड़े ही सुनियोजित तरीके से एक छदम वातावरण का निर्माण करते हैं जो भारत विरोधी और खतरनाक है।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का विचार है कि इन संघर्षों के समाधान में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। शिक्षक शैक्षिक परिसरों में इन शक्तियों के बढ़ते नकारात्मक दुष्प्रचार के प्रभाव को समाप्त कर इसे सकारात्मक दिशा देने में सक्षम हैं। महासंघ का यह मत है कि शिक्षकों को समाज और छात्रों में राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना जागृत करने के लिए आगे आना चाहिए। हमारी भारतीयता केन्द्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के केन्द्र में भी राष्ट्र हित और छात्र हित ही है। यह महासंघ सर्वसम्मत से शिक्षक समुदाय और सरकारों से यह आहह्वान करती है कि "राष्ट्र की इसी मूल प्रकृति और दृष्टि को आधार बनाकर अपनी स्थिति के अनुरूप भविष्य का विकास क्रम निर्धारित करना होगा। इस 'स्व' के साक्षात्कार के बिना हम इन विकृत शक्तियों का सामना नहीं कर सकते। विकसित भारत की नींव का अधिष्ठान हमारा यही विचार हो ता है जो सदियों से भारतीय जीवन का आधार रहा है जो सकता है सम्पूर्ण मानवता के लिये कल्याणकारक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *