भोपाल, 16 जुलाई। राजधानी स्थित रवीन्द्र भवन के स्वरांजली सभागार में मंगलवार को कोरकू भाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन साहित्य अकादमी नयी दिल्ली एवं अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के तत्वावधान में संस्कृति विभाग भोपाल के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर कोरकू भाषा के विद्वानों और अन्य अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किये। विद्वानों ने कोरकू भाषा के विस्तार और विशेषताओं पर अनुभव साझा किए। कोरकू भाषा मध्यप्रदेश के बैतूल,सिहोर, खंडवा, हरदा सहित कई आदिवासी जिलों और महाराष्ट्र तथा मणिपुर में बोली जाती है। पूरे देश में करीब 28 लाख और मध्यप्रदेश में लगभग 8 लाख लोग कोरकू भाषी निवास करते हैं। भारत के अलावा बंग्लादेश और मारीशस में कोरकू भाषी लोग रहते हैं।
कोरकू जनजाति को राजनीति में पर्याप्त भागीदारी मिले – पीसी बारस्कर
मध्यप्रदेश स्टेट पालिसी एंड प्लानिंग कमीशन के पूर्व सलाहकार और पी डब्ल्यू डी एम पी के पूर्व सचिव पीसी बारस्कर ने कहा कि कोरकू जनजाति के लोगों को राजनीति में पर्याप्त भागीदारी मिलनी चाहिए। देश में लोकसभा और राज्यसभा में कोरकू जनजाति का कोई भी प्रतिनिधि नहीं है जबकि प्रदेश और देश में काफी आबादी है। सभी प्रमुख दलों से मांग है कि कोरकू जनजाति के लोगों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाए।
कोरकू भाषा में व्याकरण के सभी तत्व मौजूद – मनीराम सुतार
प्रमुख वक्ता मनीराम सुतार ने कहा कि कोरकू भाषा में हिंदी भाषा के सभी व्याकरण जैसे अलंकार, उपसर्ग और समास मौजूद हैं। भाषा को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। कोरकू भाषा में कविताओं की रचना की जानी चाहिए।
विजय काटकर,