चिकित्सा शिक्षा विभाग के जरिए एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के तीन विषय Anatomy, Physiology and Bio-Chemistry का पाठ्यक्रम हिन्दी में तैयार किया है
हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिन्दी का एक विशेष स्थान है। मातृभाषा के रूप में हिन्दी को आगे बढ़ाने की दिशा में किसी राज्य ने अपने कदम तेजी से बढ़ाए हैं तो वह है देश का हृदयस्थल कहा जाने वाला मध्यप्रदेश। इसका श्रेय सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है, जो लगातार हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं।
बता दें कि यूक्रेन, रूस, जापान, चीन, किर्गिजस्तान और फिलीपींस जैसे देशों की तरह अब भारत में भी मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। देश में इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हो रही है। प्रदेश के 97 डॉक्टरों की टीम ने चार महीने में रात-दिन काम कर अंग्रेजी की किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया है। रविवार यानी 16 अक्टूबर को लाल परेड ग्राउंड में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन किताबों को लॉन्च करेंगे।
पूरे प्रोजेक्ट को मंदार नाम दिया…
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया, मप्र के मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर और हिन्दी के जानकारों ने MBBS फर्स्ट ईयर की किताबों का ट्रांसलेटेड वर्जन तैयार किया है। इस पूरे प्रोजेक्ट को मंदार नाम दिया गया है। मंदार नाम रखने के पीछे ये विचार था कि जिस प्रकार समुद्र मंथन में मंदार पर्वत के सहारे अमृत निकाला गया था। उसी प्रकार से अंग्रेजी की किताबों का हिन्दी में अनुवाद किया गया है। मंत्री ने बताया, मंदार में शामिल डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने विचार मंथन करके किताबें तैयार की हैं। मंत्री सारंग ने कहा मुझे खुशी है कि दुनिया के उन देशों में अब भारत भी शामिल हो गया है, जो अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई कराते हैं।
चार महीने में ऐसे पूरा हुआ टास्क…
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह काम चिकित्सा शिक्षा विभाग को दिया था। हमने 97 डॉक्टरों के साथ कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की टीम बनाई। इस पूरी प्रक्रिया में तकनीकी पहलुओं और छात्रों के भविष्य की चुनौतियों का भी ख्याल रखा गया है। इन किताबों को इस प्रकार अनुवादित कर तैयार किया गया है, जिसमें शब्द के मायने हिन्दी में ऐसे न बदल जाएं कि उसे समझना मुश्किल लगे।
जैसे- ‘स्पाइन’ को सभी समझते हैं, उसे हिन्दी अनुवाद में ‘मेरूदंड’ नहीं लिखा गया। बल्कि किताबों को ऐसे अनुवाद में तैयार किया गया है, जिसे ग्रामीण क्षेत्र से हिन्दी में पढ़ाई कर MBBS में दाखिला लेने वाले छात्र आसानी से पढ़ और समझ सकें। MBBS फर्स्ट ईयर की तीन किताब बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी और एनाटॉमी को देवनागरी लिपि में तैयार किया, जिनके हिन्दी में शब्द उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें देवनागरी में लिखा है।
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में होगी शुरुआत…
मंत्री विश्वास सारंग ने बताया, पहले हमने ये विचार बनाया था कि हम भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से इसकी शुरुआत करेंगे। लेकिन अब किताबें पर्याप्त मात्रा में तैयार हो गई हैं। अब प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिन्दी में MBBS की पढ़ाई शुरू हो रही है। हमारी कोशिश है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में भी हिन्दी में MBBS की पढ़ाई शुरू हो।
मेडिकल फील्ड के 50 हजार स्टूडेंट्स होंगे शामिल…
भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर रविवार 16 अक्टूबर को अमित शाह हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई की अनुवादित किताबों का विमोचन करेंगे। इस कार्यक्रम से 50 हजार मेडिकल फील्ड के स्टूडेंट्स जुड़ेंगे। भोपाल के सरकारी, प्राइवेट मेडिकल, नर्सिंग, पैरामेडिकल कॉलेजों के छात्र शामिल होंगे। दूसरे शहरों के मेडिकल स्टूडेंट्स वर्चुअल इस कार्यक्रम से जुड़ेगे।
हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल ने की शुरुआत…
नई शिक्षा नीति के आने से पहले मध्यप्रदेश में अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल ने हिन्दी में इंजीनियरिंग और चिकित्सा शिक्षा शुरू करने की घोषणा की थी। विश्वविद्यालय ने तीन भाषाओं में जहां इंजीनियरिंग की शुरुआत की, वहीं एमबीबीएस पाठ्यक्रम हिंदी में शुरू करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए। हालांकि तत्कालीन समय में भारतीय चिकित्सा परिषद से इसकी अनुमति नहीं मिली थी। विश्वविद्यालय द्वारा छोटे स्तर पर हुई पहल मध्यप्रदेश सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत की गई पहल के चलते रंग लाई।
हिन्दी में पढ़ाई क्यों है जरूरी…
इंजीनियरिंग, चिकित्सा विज्ञान की पुस्तकों में अंग्रेजी भाषा की कठिन शब्दावली के होने से हिन्दी माध्यम में पढ़ने वाले ग्रामीण छात्र-छात्राओं को कठिनाई होती है। अब इंजीनियरिंग और एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू होने से गरीब एवं मध्यम वर्ग के हिन्दी माध्यम में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिये पढ़ाई आसान होगी। प्रदेश सरकार का हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया यह कदम सराहनीय है।