लोगों का कहना है कि अमित शाह ने जो राजोरी में गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की घोषणा की, उससे घाटी में भी इन समुदायों की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। इस घोषणा पर सरकार जल्द अमलीजामा पहनाए।
अमित शाह बारामुला जनसभा: रैली में शामिल लोगों ने गुज्जर-बक्करवालों-पहाड़ियों को ST के दर्जे पर क्या कहा
अमृतपाल सिंह बाली, बारामुला Published by: kumar गुलशन कुमार Updated Thu, 06 Oct 2022 09:50 AM IST
सार
लोगों का कहना है कि अमित शाह ने जो राजोरी में गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की घोषणा की, उससे घाटी में भी इन समुदायों की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। इस घोषणा पर सरकार जल्द अमलीजामा पहनाए।
Amit Shah in Baramulla – फोटो : Agency
विस्तार
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बारामुला में जनसभा पर सबकी निगाहें टिकी हुई थीं। इस जनसभा में कश्मीर घाटी के दूरदराज इलाकों से हजारों की संख्या में भीड़ जुटी। जहां भी नजर गई, वहां लोग हर-हर मोदी और अमित शाह जिंदाबाद के नारे बुलंद करते दिखे। पंडाल खचाखच भरा था, लोग ढोल-बाजे के साथ नाचते-गाते दिखे।
जनसभा में शामिल लोगों का कहना है कि अमित शाह ने जो राजोरी में गुज्जर-बकरवाल और पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की घोषणा की, उससे घाटी में भी इन समुदायों की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। इस घोषणा पर सरकार जल्द अमलीजामा पहनाए। कुपवाड़ा जिले के एलओसी से सटे तंगधार करनाह क्षेत्र से आए तौफीक अहमद ने बताया कि गृहमंत्री से उन्हें कई उम्मीदें थी, जो एलान उन्होंने राजोरी में किया, उसे अब पूरा होता देखना चाहते हैं। इसी घोषणा के चलते बारामुला में बड़ी संख्या में पहाड़ी लोग यहां आए हैं।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने जो घोषणा की इसको लेकर वे बहुत ज्यादा खुश हैं। तौफीक ने कहा, हमने ऐसा नजारा इससे पहले कभी नहीं देखा जैसा इस रैली में देखने को मिला है। हमारे बाप, दादा और परदादा सब यहां की परिवारवाद वाली राजनीति में पिस चुके हैं। आज हम सब पढ़े-लिखे हैं, लेकिन हमें अपने जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 40 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। और हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार उन्हें सड़क संपर्क से जोड़े। एसटी का दर्जा दे और हमारे इलाके को जोड़ने के लिए साधना टनल मिलेगी, ताकि जो मार्ग सर्दियों में बर्फबारी के चलते बंद रहता है, बहाल हो सके।
बारामुला जिले के उड़ी सेक्टर में एलओसी से सटे एक गांव से रैली में पहुंचे मोहम्मद सदीक ने कहा, हमें काफी उम्मीदें हैं। जिस तरह से अमित शाह ने मंगलवार को पहाड़ियों और गुज्जर-बकरवाल को बराबर का दर्जा देने की घोषणा की है, इससे आस जगी है। उन्होंने कहा, जिस तरह भारतीय सेना के जवान बॉर्डर की रखवाली करते हैं, उसी तरह हम बॉर्डर के लोग सेना के साथ शाना-बशाना खड़े रहते हैं, इसलिए हम चाहते हैं कि जो घोषणा की गई है उसे जल्द अमलीजामा पहनाया जाए। सिदीक ने कहा, क्षेत्रीय दलों ने 70 साल उनका इस्तेमाल वोट बैंक के लिए किया, लेकिन जब देने की बात आई तो कुछ नहीं दिया।
घाटी अब करवट ले रही : भाजपा नेता आरपी सिंह
दिल्ली से विशेष तौर पर पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने रैली में मौजूद जनसैलाब की ओर इशारा करते हुए कहा, यह कश्मीर करवट ले रहा है, यह नया कश्मीर है। यह 2019 के बाद का कश्मीर है, जो परिवारवाद और भ्रष्टाचार से हटकर बना है। उन्होंने मुफ्ती, अब्दुल्ला और गांधी परिवार पर निशाना साधते कहा, जो लोग इस रैली में मौजूद हैं, यह उन सब लोगों से दूर रहना चाहते हैं, जिन्होंने 70 साल तक कश्मीर को लूटा है। अब जनता मोदी और अमित शाह के नए कश्मीर के साथ रहना चाहती है। आरपी सिंह ने कहा कि करीब 50 हजार से ज्यादा लोग इस रैली में हमारे साथ जुड़े हैं, जिसमें काफी संख्या में महिलाएं और युवा शामिल हैं जिसके चलते कश्मीर आज पूरे देश को संदेश दे रहा है कि यह 1990 का नहीं, बल्कि 2022 का कश्मीर है।