राजस्थान का कण-कण अपने शौर्य, बलिदान और भक्ति के साथ ही आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के कारण देश-विदेश के लोगों को बरबस ही आकर्षित करता है। कुछ ऐसा ही एक और नया अध्याय विश्व पटल पर अपना इतिहास लिखने जा रहा है। राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा में श्रीनाथ जी की पावन धरा पर 369 फीट की विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा ‘विश्वास स्वरूपम’ का लोकार्पण महोत्सव 29 अक्टूबर से 6 नवम्बर तक आयोजित किया जा रहा है। संत कृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी मदन पालीवाल ने बताया, महादेव के इस महा महोत्सव में 9 दिन तक धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक आयोजनों की धूम रहेगी। मुरारी बापू की नौ दिवसीय रामकथा इस महोत्सव को चार चांद लगाएगी। इसके साक्षी बनेंगे देश दुनियां से आए लाखों श्रोता।मुरारी बापू की रामकथा इस लोकार्पण महोत्सव में सोने पर सुहागा की तरह होगी। मदन पालीवाल ने कई साल पहले पूर्व श्रीजी की नगरी में भगवान शिव की अल्लड़ मुद्रा में विश्व की सबसे बड़ी शिव मूर्ति बनवाने का ड्रीम प्रोजेक्ट तैयार किया था। यह अब तैयार होकर अपनी पूर्णता ले चुका है। श्रीजी की नगरी में स्थापित भगवान शिव की यह अद्भुत प्रतिमा लोगों के आकर्षण के साथ ही देश और राजस्थान के पर्यटन में एक नया आयाम स्थापित करेगी। नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर बनी 369 फीट की ऊंची यह प्रतिमा ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा रही है। 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी इस प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान एवं अल्लड़ की मुद्रा में विराजित हैं, जो 20 किलोमीटर दूर से ही नजर आने लग जाते हैं। रात में भी यह प्रतिमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे, इसके लिए विशेष लाइट्स से इसकी विद्युत सज्जा की गई है।
संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित इस महोत्सव का नजारा महाकुंभ से कम नहीं होगा। श्रीनाथ जी की पावन धरा पर श्रद्धालुओं का एक जन ज्वार सा आएगा। ऐसे में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। आयोजन के लिए करीब डेढ़ लाख स्क्वायर फिट का पंडाल लग रहा है और करीब दो लाख स्क्वायर फिट में भोजनशाला का पंडाल लगाया गया है। जर्मन तकनीक से यह पंडाल बनाये जा रहे हैं, जिसमें श्रोता कथा श्रवण ओर भोजन प्रसाद का आनंद उठाएंगे। पूरा नगर रोशनी से नहाने के लिए तैयार हो रहा है। दीपावली महोत्सव से ही विद्युत सज्जा और नगर का निखरा हुआ नजारा दिखने लगेगा।
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विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा – फोटो : अमर उजाला
इस भव्य आयोजन को लेकर आम नागरिकों में बहुत उत्साह देखने को मिल रहा है और प्रतिदीन करीब 50 से 60 हजार श्रद्धालु मुरारी बापू को सुनने के लिये एकत्रित होंगे। बापू के व्यासपीठ का नजारा भी आकर्षण का केन्द्र रहेगा। भोजनशाला की तैयारियों को देखते हुए समझा जा सकता है कि प्रतिदिन यहां लाख लोग भोजन प्रसाद लेंगे। सर्विस काउण्टर तक सामग्री पहुंचाने के लिये यहां ओवरहेड कनवेयर तकनीक का सहारा लिया जा रहा है, जो कि अपने आप में अद्भूत है। आयोजन का हिस्सा बनने वाले लोगों द्वारा होटल आदि की एडवांस बुकिंग करवाई जा रही है।विश्व की सबसे ऊंची शिव मूर्ति की अपनी एक अलग ही विशेषता है। 369 फीट ऊंची यह प्रतिमा विश्व की अकेली प्रतिमा होगी, जिसमें लिफ्ट, सीढ़ियां, श्रद्धालुओं के लिए हॉल बनाया गया है। प्रतिमा के अंदर सबसे ऊपरी हिस्से में जाने के लिए चार लिफ्ट और तीन सीढ़ियां बनी हैं। प्रतिमा के निर्माण में 10 साल का समय और 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है। प्रतिमा का निर्माण 250 साल की स्थिरता को ध्यानगत रखते हए किया गया है। 250 किमी रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी मूर्ति को प्रभावित नहीं करेगी। इस प्रतिमा की डिजाइन का विंड टनल टेस्ट (ऊंचाई पर हवा) आस्ट्रेलिया में हुआ है। प्रतिमा स्थल पर पर्यटकों की सुविधाओं ओर मनोरंजन के लिये बंजी जम्पिंग का निर्माण किया गया है। यह ऋषिकेश के बाद दूसरी सबसे बड़ी बंजी जम्पिंग होगी, जिसका लुफ्त उठाने के लिए देश-विदेश के पर्यटक यहां आएंगे। साथ ही फुटकोर्ट, गेम जोन, जिप लाइन, गो कार्टिंग, एडवेंचर पार्क और जंगल कैफे का निर्माण भी किया गया है। जहां पर्यटक दिन भर यहां इसका लुफ़्त उठा सकेंगे। शिव प्रतिमा पर विशेष रूप से लाइट एन्ड साउंड के थ्री डी प्रयोग के द्वारा शिव स्तुति का प्रसारण होगा। पर्यटकों के लिए यह बहुत की आकर्षण का केंद्र होगा। इसमें बरकों कम्पनी के प्रोजेक्टर का प्रयोग किया गया है।