शहीद भवन में सोमवार शाम नाटक अरण्याधिपति टंट्या का मंचन हुआ नाटक की कहानी एक भील आदिवासी क्रांतिकारी टंट् के बारे में है गरीबों के मसीहा थे इन्हें भारतीय रॉबिनहुड कहा जाता है अमीरों से पैसा लूट कर गरीबों में बांट देते थे कई लड़कियों की शादी भी उन्होंने कराई इसलिए लोग उन्हें टंट्या मामा कहते थे नाटक का निर्देशन स्व. बंसी कौल ने किया था उन्होंने सीधे कहानी ना कहते हुए एक फौलाद की तरह इसे पेश किया है नाटक में जंगल आदिवासी और गांव का बैकग्राउंड दिखाने के लिए वहां का सेट बनाया गया इससे पहले दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी इसका प्रदर्शन हो चुका है हर बार इस नाटक को एक नए सेट के साथ प्रस्तुत किया गया नाटक में विदुषकीय शैली लाने की कोशिश की गई