कलेक्टर ने जिला अस्पताल का किया निरीक्षण,यह निर्देश भी दिए

सागर कलेक्टर संदीप जीआर ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान अस्पताल में मिली अव्यवस्थाओं को लेकर उन्होंने संबंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द सुधारने की हिदायत दी। निरीक्षण के दौरान सिटी मजिस्ट्रेट जूही गर्ग, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरी, सिविल सर्जन डॉ. मौर्य, डॉ. आरएस जयंत, डॉ. अभिषेक ठाकुर सहित अन्य डॉक्टर, स्मार्ट सिटी के इंजीनियर और नगर निगम के अधिकारी भी उपस्थित थे।कलेक्टर ने निरीक्षण के दौरान निर्देश दिए कि नवजात बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र डिस्चार्ज होने से पहले प्रसूति महिला के पलंग तक पहुंचाया जाए और एक प्रमाण पत्र की कॉपी उसके मोबाइल पर व्हाट्सएप के माध्यम से भी शेयर की जाए। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए जिला चिकित्सालय स्थित डफरिन अस्पताल में अतिरिक्त काउंटर भी स्थापित किए जाएं।

कलेक्टर ने कहा कि ओपीडी पर्ची बनाते समय ही आयुष्मान कार्ड बनाने का कार्य किया जाए, जिससे संबंधित व्यक्ति को अन्यत्र न जाना पड़े और उसका इलाज तत्काल शुरू किया जा सके। उन्होंने ओपीडी पर्ची बनाने के स्थान पर रेलिंग लगाने और ओपीडी के हाल में ग्रेनाइट की बेंच लगाने के निर्देश दिए। ओपीडी पर्ची के टोकन मशीन को तत्काल चालू करने का निर्देश भी दिया। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय के मुख्य गेट पर आने वाली एंबुलेंस के रास्ते को ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाए और वर्तमान सड़क की ऊंचाई बढ़ाई जाए, जिससे एंबुलेंस से मरीज स्ट्रेचर पर त्वरित रूप से ओपीडी में पहुंच सके। ओपीडी में लगी टीवी और स्क्रीन बंद पाए जाने पर उन्होंने अप्रसन्नता व्यक्त की और उन्हें तुरंत चालू करने के निर्देश दिए।कलेक्टर ने कहा कि जिला चिकित्सालय में मरीज के साथ केवल एक व्यक्ति ही प्रवेश करेगा, जिसके लिए पास जारी किए जाएं। बिना पास के कोई भी व्यक्ति जिला चिकित्सालय में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इसकी संपूर्ण जवाबदेही सुरक्षा एजेंसी की होगी। उन्होंने अस्पताल में व्हील वाले डस्टबिन रखने के निर्देश दिए, ताकि उन्हें तुरंत खाली किया जा सके।जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी कक्ष में पहुंचकर कलेक्टर ने डॉक्टरों और मरीजों से चर्चा की और वहां की व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त की। मरीजों द्वारा दिए गए सुझावों को तत्काल लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने जिला चिकित्सालय के मुख्य गेट पर व्हीलचेयर और स्ट्रेचर की संख्या बढ़ाने, मेडिकल और सर्जिकल ओपीडी की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। रिकॉर्ड रूम, आईसीयू, गैलरी, और वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी बात की। सोनोग्राफी कक्ष में संबंधित डॉक्टर के न होने पर उन्होंने कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।कलेक्टर ने जिला चिकित्सालय में अलग-अलग जगह मरीजों से जानकारी प्राप्त की। ओपीडी के प्रतीक्षालय कक्ष में बैठी प्रभा राठौर से पूछा कि वे क्यों बैठी हैं? प्रभा ने बताया कि उनकी अस्पताल से छुट्टी हुई है और वह घर जा रही हैं। कलेक्टर ने नवजात बच्चे के संबंध में जानकारी प्राप्त की और पूछा कि बच्चों का टीकाकरण हो गया है या नहीं। प्रभा ने बताया कि टीकाकरण अस्पताल में ही हो गया था। कलेक्टर ने तत्काल पूछा कि क्या आपको जन्म प्रमाण पत्र मिला है और आयुष्मान कार्ड बना है या नहीं। प्रभा के ससुर ने जानकारी दी कि जन्म प्रमाण पत्र अभी नहीं बना है। कलेक्टर ने जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले अधिकारी को तुरंत बुलाया और पूछा कि जन्म प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिया गया। अधिकारी ने कहा कि उन्हें डिस्चार्ज सर्टिफिकेट हाल ही में मिला है और प्रमाण पत्र बन जाएगा। कलेक्टर ने निर्देश दिया कि नवजात बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र डिस्चार्ज से पूर्व ही संबंधित के पलंग पर पहुंचाया जाए और एक प्रति उनके मोबाइल नंबर/व्हाट्सएप पर तुरंत भेजी जाए।

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