भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह ‘लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा’ में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में आज 3 जुलाई, 2024 से भील समुदाय की चित्रकार सुश्री शिवाबाई भाबोर के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। 51वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 जुलाई, 2024 (मंगलवार से रविवार) तक निरंतर रहेगी। भीली चित्रकार शिवाबाई भाबोर का जन्म मध्यप्रदेश के जनजातीय बहुल झाबुआ जिले के एक छोटे से ग्राम – झेर (तहसील – कल्याणपुर) में हुआ है। पारम्परिक खेती-किसानी के परिवार में पली-बढ़ी और जंगल-पहाड़ों से घिरे वातावरण और प्रकृति के सान्निध्य में आपका बचपन गुजरा है। गाँव या आसपास में स्कूल न होने से आप औपचारिक शिक्षा तो नहीं ले पाईं, लेकिन भीली परम्पराओं के संस्कार आपको परिवेश से मिले। आपका विवाह वर्ष 2004 में शेरसिंह भाबोर से हुआ है, जो कि पारम्परिक भीली चित्रकला में जाना-पहचाना नाम है। विवाह के बाद ही आपने अपने पति के सान्निध्य और मार्गदर्शन में भीली चित्रकला की बारीकियों को जाना-समझा और सीखा है और निरंतर उनके चित्रकर्म में सहायता करती रही हैं। विख्यात भीली चित्रकार पद्मश्री भूरीबाई और लाडोबाई आपके पारिवारिक रिश्ते में लगती हैं। उनके चित्रकर्म से भी आप अत्यन्त प्रेरित हैं। आपके चार बच्चे हैं, और उन्हें भी आप अपनी चित्रकला की परम्परा विरासत में सौंपने की इच्छा रखती हैं। वर्तमान में आप भोपाल में रहकर ही पति के साथ चित्र कर्म में सृजनरत हैं। आपने दिल्ली, जयपुर सहित कुछेक चित्रकला प्रदर्शनियों में भाग लिया है। आपके चित्रों में जंगल, पशु-पक्षी, पर्यावरण के साथ अपने जातीय संस्कार विशेष तौर पर दृष्टव्य होते हैं। आप अपनी सफलता का सम्पूर्ण श्रेय अपने पति शेरसिंह भाबोर को देती हैं, जिनकी सतत् प्रेरणा ने आपकी चित्रकला को सुघड़ बनाया।