Satyam Scam: आनंद महिंद्रा ने 2009 में राजू के सनसनीखेज पत्र के बीच 100 दिनों की यात्रा के बारे में लिखी गई एक किताब के विमोचन के मौके पर यह बात बताई.
Reported By Dy. Editor, SACHIN RAI, 8982355810
Mahindra Group: सत्यम घोटाला सामने आने से एक साल पहले महिंद्रा समूह ने हैदराबाद स्थित आईटी कंपनी के साथ विलय के लिए बात की थी. आनंद महिंद्रा ने 14 साल बाद अब इस बारे में यह खुलासा कियाा है। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा कि सत्यम के चेयरमैन रामलिंगा राजू को एक प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन्होंने कभी उस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया नहीं दी. महिंद्रा ने 2009 में राजू के सनसनीखेज पत्र के बीच 100 दिनों की यात्रा के बारे में लिखी गई एक किताब के विमोचन के मौके पर यह बात बताई.
करीब 5000 करोड़ का था सत्यम घोटाला
उन्होंने कहा, ‘मैं उसे जानता था. मैंने टेक महिंद्रा के साथ संभावित विलय के लिए उससे एक साल पहले संपर्क किया था.’ अप्रैल 2009 में सरकार की तरफ से नियुक्त बोर्ड ने सत्यम के अधिग्रहण के लिए महिंद्रा को चुना था. सत्यम घोटाला करीब 5,000 करोड़ रुपये का था. महिंद्रा ने कहा कि वह हैदराबाद में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस की स्थापना में शामिल होने के कारण राजू को जानते थे और कहा कि यह पेशकश टेक महिंद्रा और सत्यम के बीच मौजूद स्पष्ट तौर पर ऐसी चीजें थी, जो एक-दूसरे के लिए पूरक थी.
टेक महिंद्रा के पास एक अरब डॉलर का राजस्व था
महिंद्रा ने कहा कि उस समय टेक महिंद्रा के पास एक अरब डॉलर का राजस्व था और कंपनी एक बहुत बड़ा संगठन बनने के लिए उतावली थी. इसके लिए मर्ज करने और टेक ओवर पर भी विचार किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी यूरोपीय ग्राहकों पर केंद्रित थी, जबकि सत्यम का ध्यान अमेरिकी बाजार पर केंद्रित था. अंत में, महिंद्रा ग्रुप एलएंडटी द्वारा 45.90 रुपये प्रति शेयर की बोली के मुकाबले 58 रुपये प्रति शेयर की बोली लगाकर सत्यम को हासिल करने में सफल रहा.
महिंद्रा ने कहा कि राजू ने कभी उनके प्रस्ताव पर इसलिए प्रतिक्रिया नहीं दी क्योंकि बातचीत आगे बढ़ने पर उन्हें नकली खाता बही दिखाने के लिए मजबूर होना पड़ता और घोटाले का पर्दाफाश हो जाता.