
आपने ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) स्पूफिंग के कारण भारत में विमानों की सुरक्षा पर संभावित खतरों के बारे में चिंता व्यक्त की है, विशेष रूप से नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच 465 घटनाओं की रिपोर्ट के संदर्भ में। हालांकि, उपलब्ध स्रोतों में इस अवधि के दौरान इतनी बड़ी संख्या में घटनाओं का उल्लेख नहीं है। फिर भी, GNSS स्पूफिंग एक गंभीर मुद्दा है, जो विमान नेविगेशन सिस्टम की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है।GNSS स्पूफिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें नकली सिग्नल प्रसारित करके नेविगेशन सिस्टम को गलत जानकारी दी जाती है, जिससे विमान गलत दिशा में जा सकता है या उसकी पोजीशनिंग में त्रुटि हो सकती है। यह विमानन सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
भारत में, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने हवाई क्षेत्र में GNSS जैमिंग और स्पूफिंग के बढ़ते खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए नवंबर 2023 में एक परिपत्र जारी किया था। इस परिपत्र का उद्देश्य विमान ऑपरेटरों, पायलटों, एयर नेविगेशन सेवा प्रदाताओं (ANSP) और हवाई यातायात नियंत्रकों को इस खतरे से निपटने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश और कार्य योजनाएं प्रदान करना था। परिपत्र में उपकरण निर्माताओं के साथ समन्वय में आकस्मिक प्रक्रियाओं के विकास, परिचालन जोखिम का मूल्यांकन, और खतरे की निगरानी और विश्लेषण के लिए एक नेटवर्क स्थापित करने जैसे उपाय शामिल थे। यह सभी संबंधित पक्षों को GNSS हस्तक्षेप के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप प्रदान करता है।
हालांकि, उपलब्ध स्रोतों में अमृतसर और जम्मू के पाकिस्तान सीमा से लगे क्षेत्रों में GNSS स्पूफिंग की घटनाओं का विशेष उल्लेख नहीं है। यह संभव है कि इस प्रकार की घटनाएं रिपोर्ट की गई हों, लेकिन सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों में उनकी जानकारी सीमित हो।कुल मिलाकर, GNSS स्पूफिंग एक वास्तविक खतरा है जो विमान नेविगेशन सिस्टम की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है। DGCA द्वारा जारी दिशा-निर्देश इस खतरे से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं, लेकिन निरंतर सतर्कता और नवीनतम सुरक्षा उपायों का पालन आवश्यक है।