राजधानी भोपाल में हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ दीपक मरावी के ऊपर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह उनके द्वारा हमीदिया अस्पताल में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के प्रयास के तहत हो रही है क्योंकि डॉक्टर मरावी आदिवासी समाज के होने की वजह से सामान्य वर्ग के लोग उनकी कार्यप्रणाली को पचा नहीं पा रहे हैं जबकि डॉक्टर मरावी द्वारा हमीदिया अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर जो सुधार कार्य किया जा रहा है वह अति उत्तम है उनके द्वारा किए गए कार्यों को अगर सही तरीके से देखा जाए राजधानी ही नहीं प्रदेश के अन्य जगह से आने वाले मरीज भी उनकी कार्यप्रणाली से खुश हैं जबकि हमीदिया अस्पताल में जो कर्मचारी अधिकारी वर्तमान में काम कर रहे हैं वह अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से नहीं ले रहे हैं उनकी इसी स्थिति की वजह से कर्मचारी संगठन और जिन लोगों को नुकसान हो रहा है वह मनगढ़ंत आरोप लगाकर उनको कटघरे में खड़ा कर रहे हैं डॉक्टर मरावी अगर गलत होते तो स्वयं इस्तीफा देकर वहां से हट जाते लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी और उच्च चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग को इस बात पर संज्ञान लेना चाहिए और हमीदिया अस्पताल की व्यवस्थाओं को शुरू करने के लिए ऐसे कर्मठ व कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी का साथ दिया जाना चाहिए हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ दीपक मरावी पर अश्लीलता और दुष्कर्म के प्रयास जैसे गंभीर आरोप लगाने के बाद पीड़ित स्टाफ नर्स काफी घबराई हुई है अब उन्हें अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा है इधर इस मामले का खुलासा होने के बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए 10 दिन मैं रिपोर्ट मांगी है आयोग के सदस्य सरबजीत सिंह ने चिकित्सा शिक्षा आयुक्त से पूरे मामले की तथ्यात्मक जानकारी दिलवाई है मंगलवार को नर्सों की ओर से मंत्री विश्वास सारंग से की गई लिखित शिकायत में ही मांग की कि पिछले कार्यकाल में भी डॉक्टर मरावी की हरकतों की शिकायत की गई थी तब विभाग के अधिकारी जो डॉक्टर थे उन से जांच कराई गई और क्लीनिक चिट दे दी गई थी