मरे हुए लोगों से ख्‍वाहिशें जिन्‍दा है

मरे हुए लोग ही मेरे ख्वाबों को जिंदा रखे हुए हैं उनके बूते पर ही मेरी बेटी की सोमवार को डोली उठेगी ख्वाहिश यही की धूमधाम से शादी हो जाए यह ख्वाहिश है उस शख्स की जो मोबाइल की घंटी बजने पर लावारिस क्षत-विक्षत अवस्था में मिली लाश को उठाने चल देता है उन्हें जीआरपी और पुलिस दोनों की ही बुलाते हैं इसके बदले में मिलने वाली राशि से उनकी गुर्जर होती है उन्हें मलाल है कि कोविड-19 कम होते ही नगर निगम ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया जबकि इस दौरान उन्होंने करीब 80 शवों का दाह संस्कार कराया था

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