मप्र में नीलगाय और जंगली सूअर के शिकार की अनुमति अब आवेदन करने के 8 दिन में मिल जाएगी। साथ ही लाइसेंसी हथियार रखने वाले उन्हें मार सकेंगे। वन विभाग लगभग 20 साल पुराने नियम में बदलाव करने जा रहा है। इसका ड्राफ्ट तैयार है, विधायकों की राय के बाद इसे मंजूरी दे दी जाएगी। विधायकों को पत्र भेज दिए गए हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2000 में नीलगाय को मारने और 2003 में जंगली सूअर को मारने के नियम बने थे। संशोधित हो रहे नए नियम में वॉट्सएप या ई-मेल पर रेंजर को भेजी गई सूचना को ही आवेदन माना जाएगा। साथ ही शिकार की अनुमति का अधिकार भी जिला प्रशासन लेकर फॉरेस्ट के एसडीओ को दिया जाएगा। खास बात यह है घायल होने के बाद जानवर की मौत यदि जंगल में होती है तो गुनाह नहीं होगा। पहले मौत निजी जमीन पर होना जरूरी था।
सीमित संख्या में अनुमति देंगे
‘एसडीओ फॉरेस्ट के पास से मंजूरी मिलने लगेगी तो नीलगाय या जंगली सूअर से प्रभावित लोग आवेदन करेंगे। वैसे इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि सीमित संख्या में अनुमति दी जाए। यह सही है कि इन दोनों जानवरों की संख्या ज्यादा होने की वजह से यह फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।’ – आलोक कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), मप्र
पूर्व में एक ने भी नहीं किया आवेदन
पुराने नियमों के तहत एक भी किसान या रजिस्टर्ड शिकारी ने नीलगाय या जंगली सूअर को मारने का आवेदन नहीं किया। जबकि विधायक विधानसभा से लेकर कई मंचों पर यह मसला उठा चुके हैं कि फसलों को नुकसान होता है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियम पेंचीदा था, इसलिए कोई आवेदन नहीं आया।
पहले… जानवर की मौत निजी जमीन पर ही होना जरूरी थाअब… घायल होने के बाद मौत जंगल में हुई तो भी गुनाह नहीं
{ हथियार लाइसेंसी शिकार कर सकेगा। यदि किसी के पास लाइसेंस नहीं है तो वह उस जिले के किसी भी दूसरी लाइसेंसी व्यक्ति से शिकार करा सकेगा। फॉर्म में दोनों के नाम संयुक्त रूप से लिखे रहेंगे।
{समय सीमा तय रहेगी। आवेदन मिलने के बाद रेंजर पांच दिन के भीतर मौके पर जाकर देखेगा और उसकी रिपोर्ट के बाद तीन दिन में एसडीओ मंजूरी देगा।
{ निजी जमीन पर जानवर को मारने के बाद यदि वह जंगल में जाकर मरता है तो इसमें कोई विवाद नहीं होगा। एक बार में पांच-पांच जंगली सूअर या नीलगाय को मारने की इजाजत रहेगी।
{ मौजूदा एक्ट में जंगली सूअर और नीलगाय को मारने की स्वीकृति एसडीएम देते हैं। शिकारी के पास गन का लाइसेंस होने के साथ ही उस व्यक्ति का रजिस्टर्ड शिकारी होना जरूरी है।
{सूअर व नीलगाय को मारते समय उसका निजी जमीन पर होना जरूरी है। शिकारी को ही यह लिखकर देना होगा कि जिसे उसने मारा है, वही फसल का नुकसान करता था।
{शिकार के बाद शव निजी जमीन पर ही मिलना चाहिए। सूअर की संख्या 10 तय थी, जबकि नीलगाय की कोई संख्या तय नहीं थी। आवेदन और उसकी स्वीकृति की कोई समय सीमा नहीं थी।